उत्तराखंड: पिथौरागढ़ में 25 नवंबर को होगा उपचुनाव, बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस भी मुकाबले के लिए तैयार
बीजेपी की राह नहीं आसान ( फोटो क्रेडिट commons/wikimedia

उत्तराखंड की पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर 25 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी (BJP) की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है और उसके सामने इस सीट को अपने पास बनाए रखने की चुनौती है. दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस भी मुकाबले के लिए पूरी तैयार कर रही है. इस साल जून में उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत का निधन होने के बाद यह सीट खाली हुई थी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस सीट पर जीत या हार से राज्य में भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन इससे उसकी प्रतिष्ठा पर जरूर असर पड़ सकता है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्रालय सहित कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे पंत की छवि ऐसे नेता की थी, जो सौम्य और सरल स्वभाव के साथ ही सरकार को हर मुश्किल से बाहर निकालने में सक्षम माने जाते थे. विश्लेषकों का मानना है कि पंत की कर्मभूमि रही पिथौरागढ़ सीट को अपने कब्जे में बरकरार रखने के लिये भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

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इस सीट से तीन बार प्रतिनिधित्व करने वाले पंत की लोकप्रियता यहां काफी अधिक है और कार्यकाल के दौरान उनकी कैंसर के कारण हुई मृत्यु के चलते उनके परिवार के प्रति सहानुभूति है. ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा इस सीट पर उनके ही किसी परिजन को चुनावी समर में उतारना चाहती है. पंत ने 2002, 2007 और 2017 में पिथौरागढ़ से चुनाव जीता था. उपचुनाव में इस सीट पर पार्टी की पहली पसंद पंत की पत्नी चंद्रा थीं लेकिन उनके चुनाव लडने से मना करने और अपने देवर का नाम आगे करने के बाद अब पार्टी पंत के छोटे भाई भूपेश के नाम के साथ ही अन्य उम्मीदवारों पर भी विचार कर रही है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक भूपेश के अलावा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गये नामों के पैनल में कुमाऊं मंडल विकास निगम के अध्यक्ष केदार जोशी तथा पिथौरागढ़ नगर निगम के अध्यक्ष राजेंद्र रावत भी शामिल हैं. इस संबंध में एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, "पंत के छोटे भाई होने के कारण भूपेश को ही टिकट मिलने की ज्यादा संभावना है. पंत की विधवा चंद्रा द्वारा उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देने के बाद, उनके चयन की संभावना और बढ़ गयी है."

कांग्रेस 2012 में इस सीट से जीत दर्ज करा चुके मयूख महर को समर में उतारने का मन बना रही है. सूत्रों के मुताबिक महर इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के दबाव के चलते वह तैयार हो सकते हैं. रावत ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में कहा, "मयूख महर पिथौरागढ़ के लिये सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं." अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रावत ने पिथौरागढ़ में उनके लिये प्रचार करने का भी वादा किया है.