Jammu-Kashmir On Article 370: अनुच्छेद 370 हटाए जाने की पांचवीं बरसी पर जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है. लोगों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटाए जानेे के बाद राज्य में सकारात्मक बदलाव आया है. इसी कड़ी में स्थानीय निवासी राकेश कौल ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से राज्य में व्यापक बदलाव हुआ है. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में कभी पत्थरबाजी होती थी, वहां अब उसका अंत हो गया है. पर्यटन में काफी वृद्धि हुई है और विकास कार्य चल रहे हैं. मनी लॉन्ड्रिंग वह बंद हो चुकी है. ऐसी गतिविधियों पर रोक लगी है.
उन्होंने कहा कि पहले फंड के लिए कोई जवाबदेही नहीं थी, लेकिन अब सिस्टम में विश्वसनीयता है. कांग्रेस के नेता खुद कहते थे कि वो दिल्ली से 1 रुपया भेजते थे, तो 80 पैसे यहां पहुंचते था. आज हर अकाउंट में पैसा सीधे पहुंचता है. यह बड़ी उपलब्धि है. जम्मू कश्मीर के नागरिक के तौर पर मैं कह सकता हूं कि अनुच्छेद 370 कश्मीरियों के लिए कोई मायने नहीं रखता था. यहां पर बेरोजगारी बड़ी समस्या है. मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस ओर ध्यान देगी. वहीं एक अन्य स्थानीय नागरिक सनक श्रीवास्तव का कहना है कि पांच वर्ष पूर्व जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, उसके बाद से जम्मू कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है.
आईआईटी बनकर खड़ा हो चुका है. आईआईएम बन चुका है. एम्स बन चुका है. अन्य कई इंस्टीट्यूशन आज जम्मू कश्मीर में हैं. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले हर तीसरे दिन बंद की अपील की जाती थी. एनआईटी में पढ़ाई ही नहीं हुई. एनआईटी के बच्चे घर से ही पढ़ रहे थे. जिस एनआईटी से देश के लिए इंजीनियर निकलने चाहिए थे, विद्यार्थी कैंपस में जा ही नहीं पा रहे थे. एनआईटी के अंदर पाकिस्तान जिंदाबाद नारे लगाए जाते थे. लेकिन आज सभी इंस्टीट्यूशन चल रहे हैं और छात्र वहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. अनुच्छेद 370 हटाने से बहुत खुशी और अमन का वातावरण है.
कश्मीर के अंदर एक धारणा बन चुकी थी कि अगर अनुच्छेद 370 को किसी ने छुआ तो जम्मू कश्मीर में तिरंगे को कंधा देने वाला नहीं मिलेगा. लेकिन आज जम्मू कश्मीर में हर घर तिरंगा लहरा रहा है. महबूबा मुफ्ती के घर के सामने से विद्यार्थियों ने 100 फीट तिरंगा यात्रा निकला. बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करते हुए राज्य को दो हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. इसके साथ ही इन दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन और पथराव की घटनाएं खत्म हो गई हैं.
कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही निर्दोषों की हत्याओं पर भी रोक लगी है। नागरिक मृत्यु में 81 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही सैनिकों की शहादत भी 48 प्रतिशत कम हुई है। वहीं आतंकी घटनाओं की संख्या में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल 21 जुलाई तक 14 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक मारे गए, जबकि 2023 में 46 आतंकवादी घटनाओं और 48 मुठभेड़ों या आतंकवाद विरोधी अभियानों में 44 लोग मारे गए थे।
इनमें 30 सुरक्षाकर्मी और 14 नागरिक शामिल थे. वहीं आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 70 प्रतिशत आतंकवादी घटनाओं पर रोक लगी है. इसका श्रेय मोदी सरकार को जाता है. मोदी सरकार ने घाटी में आतंकवाद, पथराव और पाकिस्तान प्रायोजित हमलों को खत्म करके शांति बहाल का रास्ता तैयार किया और यहां का विकास सुनिश्चित किया. जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का नतीजा है.