मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bomaby High Court) ने आरे कॉलोनी को वन घोषित करने और वहां पेड़ काटने संबंधी बीएमसी के एक फैसले को रद्द करने को लेकर दायर याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (Brihanmumbai Municipal Corporation) ने मेट्रो कार शेड के लिए 2,600 पेड़ों को काटने की मंजूरी दी थी. मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने गोरेगांव की आरे कॉलोनी (Aarey Colony) के संबंध में एनजीओ और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से दायर चार याचिकाओं को खारिज कर दिया.
बता दें कि आरे कॉलोनी गोरेगांव महानगर का प्रमुख हरित क्षेत्र है. खंड पीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने के संबंध में शहर के एनजीओ वनशक्ति की याचिका को भी खारिज कर दिया. अदालत ने कहा, “ यह मामला उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है. इसलिए हम याचिका को एक जैसा मामला होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर. यह भी पढ़े: लता मंगेशकर ने की महाराष्ट्र सरकार से आरे कॉलोनी में पेड़ों को बचाने की अपील
Maharashtra: Bombay High Court has dismissed all petitions against BMC decision which allowed felling of more than 2700 trees in Mumbai's Aarey forest for metro car shed. pic.twitter.com/doCrwddxKQ
— ANI (@ANI) October 4, 2019
साथ ही अदालत ने कार्यकर्ता जोरु बथेना की याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया गया था और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,656 पेड़ काटने की बीएमसी की मंजूरी को भी चुनौती दी गई थी. पीठ ने शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जिन्होंने बीएमसी के वन प्राधिकरण की मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर की थी. जाधव वृक्ष प्राधिकरण के सदस्य हैं.