राजस्थान में पूर्व की ही तरह राज परिवारों के सदस्यों का सियासत में अपनी किस्मत आजमाना जारी है. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी राजघरानों (पूर्व) के तीन वंशजों ने मैदान में उतरकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. इस बार राजघरानों के तीन सदस्य जनता की अदालत में अपनी ताकत की जोर-आजमाइश कर रहे हैं. इनकी किस्मत का फैसला दो चरणों में- 29 अप्रैल और छह मई को होने वाले मतदान में होगा. इन तीनों में सबसे ऊपर दुष्यंत सिंह का नाम आता है जो झालावाड़-बारां से लोकसभा के तीन बार सदस्य रहे हैं तथा पूर्व के धौलपुर राजघराने के वंशज हैं.
दुष्यंत सिंह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री एवं धौलपुर की महारानी वसुंधरा राजे के बेटे हैं. वह इस सीट से चौथी बार चुने जाने के लिए लोगों से अपने संपर्क पर भरोसा जता रहे हैं. राजे ने 2004 में अपने बेटे के लिए यह सीट खाली की थी. उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रमोद शर्मा हैं जो खुद को आम आदमी के तौर पर पेश कर रहे हैं. जयपुर राजपरिवार की दीया कुमारी भी इस दौड़ में शामिल हैं. वह गायत्री देवी की पोती हैं. गायत्री देवी शाही परिवार की पहली महिला सदस्य थीं जिन्होंने 1962 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी. इस चुनाव में करीब 80 फीसदी वोट अपने नाम करने के लिए गायत्री देवी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था.
दीया कुमारी पूर्व में सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रही हैं और राजसमंद लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं. मतदाताओं के बीच जाते वक्त वह अपनी पृष्ठभूमि हमेशा से गैर शाही बताती हैं. प्रचार के दौरान वह आम तौर पर कहती हैं, “मैं एक फौजी की बेटी हूं.” पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादी शिविर पर भारतीय वायुसेना की ओर से किए गए हमलों का संदर्भ देते हुए वह कहती हैं, “इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद और राष्ट्र गौरव दो अहम मुद्दे हावी है.” उनके पिता भवानी सिंह 10वीं पैराशूट रेजिमेंट में थे.
दीया कुमारी को कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया है. गुर्जर दीया कुमारी की शाही पृष्ठभूमि को उनके खिलाफ प्रचार करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. वह लोगों से कहते हैं, “मैं किसान का बेटा हूं और हमेशा आपके साथ रहूंगा. वह ‘महारानी’ हैं. अगर वह चुनी गईं तो पलटकर आपके पास नहीं आएंगी.” अल्वर में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह चुनावी अखाड़े में उतरे एक और ऐसे प्रत्याशी हैं जो राजपरिवार से संबंध रखते हैं. उनका ताल्लुक अल्वर राजघराने से है और उन्होंने 2009 में लोकसभा में इस शहर का प्रतिनिधित्व किया था. उनकी मां 1991 से 1996 तक भाजपा से लोकसभा सांसद थीं. वह अपने चुनावी भाषणों में कहते हैं, “हमारा परिवार कई पीढ़ियों से यहां रहा है और हम हमेशा अपने लोगों के साथ हैं.” उनका सामना भाजपा के महंत बालक नाथ से है.