Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जजों की छुट्टियों और उनके काम के घंटों पर सवाल उठाने वाले लोगों को आड़े हाथों लिया है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दीपांकर दत्ता और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि सरकार में जो लोग न्यायपालिका की क्षमता और छुट्टियों पर सवाल उठाते हैं, उन्हें पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केंद्र की अपील को समय पर दायर करें. हमारे बारे में हाल ही में एक आर्टिकल लिखा गया था. इसमें कहा गया था कि हम कुछ घंटे काम करते हैं और लंबी छुट्टियों पर जाते हैं.
अदालत ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि जज छु्ट्टियों में भी आधी रात को पसीना बहाते हैं. सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वालों में से कुछ लोग शासन में हैं. अदालत उनसे यह उम्मीद करती है कि वह हर केस में निर्धारित समय के भीतर अपनी याचिका दायर करेंगे.
पीठ ने कहा कि शायद ही कोई मामला हो जो निर्धारित समय के भीतर दायर किया गया हो. अधिकारी कभी भी निर्धारित समय (60 से 90 दिन के भीतर) नहीं आते हैं. अदालत में सभी याचिकाओं को देरी की माफी के साथ आवेदन किया जाता है. इसलिए न्यायपालिका की आलोचना करने वालों को इस पर पहले ध्यान देना चाहिए.
दरअसल, 20 मई से सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां शुरू हुई हैं, जो 8 जुलाई तक चलेंगी. इसी को लेकर पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने एक आर्टिकल लिखा था. इसमें उन्होंने न्यायिक सुधारों की मांग करते हुए तर्क दिया था कि जज कम घंटे काम करते हैं और लंबी छुट्टियों पर जाते हैं.