लखनऊ, 22 अगस्त : योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के शैक्षणिक बुनियादी ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन करने का बेड़ा उठाया है. इसके लिए उन्होंने अमेरिका जैसे देशों की तर्ज पर देश की पहली एजुकेशन टाउनशिप उत्तर प्रदेश में विकसित करने का निर्देश दिया है. प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया है कि सिंगल एंट्री मल्टीपल एग्जिट (कोरे कागज की तरह आइए और कई हुनर लेकर जाइए) के विचार पर बनने वाली इस टाउनशिप का फोकस अच्छी और सस्ती शिक्षा पर रहेगा, जो भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और मध्य एशियाई देशों के छात्रों को भी आकर्षित करेगी.
इस बाबत मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुतिकरण हो चुका है और उन्होंने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. इससे उच्च श्रेणी की शिक्षा मिलेगी और युवा दक्ष होंगे. मुख्यमंत्री योगी ने हाल ही में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने के लिए सलाहकार कंपनी डेलाइट इंडिया के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में प्रदेश में पांच एजुकेशन टाउनशिप स्थापित करने को लेकर वृहद कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए थे. इससे एक ही जगह पर छात्रों को सभी प्रकार की शिक्षा मिलेगी. साथ ही उन्हें विभिन्न तरह के स्किल की ट्रेनिंग भी मिल सकेगी.
इस एजुकेशन टाउनशिप में निजी क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. इसमें देश और दुनिया के प्रतिष्ठित सरकारी और निजी विश्वविद्यालय अपना कैम्पस खोल सकेंगे. साथ ही एक ही जगह पर अटल आवासीय विद्यालय जैसे प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय भी होंगे. वहीं, स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय और कॉलेज की स्थापना की जाएगी. इसमें मैनेजमेंट, तकनीक, विधि और मेडिकल से जुड़े पाठ्यक्रमों की पढ़ाई और रिसर्च आदि होंगे.
देश और प्रदेश में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे- नीट, आईआईटी, संघ लोक सेवा आयोग आदि में ज्यादा से ज्यादा छात्र सफल हो सकें, इसके लिए इन एजुकेशन टाउनशिप में अभ्युदय जैसे कई अन्य कोचिंग संस्थान भी शुरू किए जाएंगे. साथ ही इस टाउनशिप में छात्रों और अध्यापकों के लिए आवास की भी व्यवस्था रहेगी. इसके अलावा युवाओं के कौशल विकास के लिए स्किल विश्विद्यालय भी खोले जाएंगे, जहां युवाओं को विभिन्न प्रकार की स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी.
अमेरिका के पीट्सबर्ग शहर में ऐसी व्यवस्था है. वहीं संयुक्त अरब अमीरात के शहर दुबई में नॉलेज सिटी और शारजहा के नॉलेज विलेज में ऐसी सुविधाएं हैं, जहां दुनिया के कई देशों के प्रतिष्ठित विश्विद्यालयों के कैम्पस हैं. प्रदेश में 'सिंगल एंट्री, मल्टीपल एग्जिट' व्यवस्था शुरू होने से यहां छात्रों को सस्ती और अच्छी शिक्षा मिलेगी, जिससे युवाओं को पढ़ाई के बाद नौकरी या स्वरोजगार शुरू करने में काफी आसानी होगी. इससे दुनिया भर के छात्र यहां आने के लिए आकर्षित भी होंगे. यह भी पढ़ें : दिल्ली में किसानों की ‘महापंचायत’ के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ायी गयी
सरकार के एजुकेशन टाउनशिप के विचार का देश के कई शिक्षाविदों ने स्वागत किया है. उनमें से राष्ट्रीय शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष और राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित का कहना है कि एजुकेशनल टाउनशिप की संकल्पना भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बुनियाद को और मजबूत करेगी. भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी विकासशील और अविकसित देश इस समय हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. दरअसल, ये सस्ती शिक्षा, अच्छी शिक्षा के कॉन्सेप्ट को पूरा करेगा.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित भारत अध्ययन केंद्र के फाउंडर चेयर प्रोफेसर डॉ. राकेश उपाध्याय के अनुसार एजुकेशनल टाउनशिप में नर्सरी से लेकर अलग-अलग विषयों में उच्च शिक्षा से लेकर रिसर्च तक की सुविधा एक ही स्थान पर मिलेगी. ऐसी व्यवस्था कुछ विकसित देशों में पहले से है. भारत में इस वक्त तेजी से विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ रही है. यूपी का ग्रेटर नोएडा इसका बड़ा सेंटर बनकर उभर रहा है. यूपी में एजुकेशनल टाउनशिप की संकल्पना भारत के लिए काफी यूनिक है.