Cyber Fraud Helpline: अगर हुए है साइबर धोखाधड़ी के शिकार, तो तुरंत गृह मंत्रालय के इस नंबर पर करें रिपोर्ट, बच जाएगी आपकी मेहनत की कमाई
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 18 जून : सुरक्षित डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम प्रदान करने के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हुए, गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिग प्लेटफॉर्म का संचालन शुरू किया है. रिपोर्टिग प्लेटफॉर्म, साइबर धोखाधड़ी में नुकसान उठाने वाले व्यक्तियों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए एक तंत्र की सुविधा देता है, ताकि उनकी गाढ़ी कमाई की हानि को रोका जा सके.

हेल्पलाइन को एक अप्रैल, 2021 को सॉफ्ट लॉन्च किया गया था. हेल्पलाइन 155260 और इसके रिपोर्टिग प्लेटफॉर्म को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सभी प्रमुख बैंक, भुगतान बैंक, वॉलेट और ऑनलाइन मर्चेंट के सक्रिय समर्थन और सहयोग से गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4सी) द्वारा संचालित किया जा रहा है. कानून प्रवर्तन एजेंसियों और बैंकों एवं वित्तीय मध्यस्थों को एकीकृत करने के उद्देश्य से आई4सी द्वारा आतंरिक रूप से नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिग और प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है. यह भी पढ़ें : आंध्र में किसी भी कर्मचारी को स्कूलों, आंगनवाड़ियों से नहीं हटाया जाएगा

इस समय हेल्पलाइन नंबर 155260 के साथ इसका उपयोग सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा किया जा रहा है, जो देश की 35 प्रतिशत से भी अधिक आबादी को कवर करते हैं. जालसाजों द्वारा ठगे गए धन के प्रवाह को रोकने के लिए अन्य राज्यों में भी इसकी शुरुआत की जा रही है, ताकि पूरे देश में इसकी कवरेज हो सके. अपनी लॉन्चिंग के बाद केवल दो माह की छोटी सी अवधि में ही हेल्पलाइन नंबर 155260 कुल 1.85 करोड़ रुपये से भी अधिक की धोखाधड़ी की गई रकम को जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में सफल रहा है. दिल्ली एवं राजस्थान ने क्रमश: 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये की बचत की है.

यह विशेष सुविधा ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित सूचनाओं को साझा करने और लगभग वास्तविक समय में ही सटीक कार्रवाई करने के लिए नए जमाने की तकनीकों का उपयोग करते हुए बैंकों और पुलिस दोनों को ही सशक्त बनाती है. ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में धोखाधड़ी की गई रकम का नुकसान होने से बचाया जा सकता है. धोखाधड़ी की गई रकम के समस्?त प्रवाह पर करीबी नजर रखकर और जालसाज द्वारा पूरी डिजिटल प्रणाली (इकोसिस्टम) से इसे बाहर निकालने से पहले इसके आगे के प्रवाह को रोक देने से यह संभव हो सकता है. यह भी पढ़ें : डीजल-पेट्रोल की कीमतों पर नहीं लग रहा लगाम, जानिए आज दिल्ली-मुंबई और भोपाल में क्या है भाव

बयान के अनुसार, साइबर ठगी के शिकार लोग हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करते हैं, जिसका संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है. कॉल का जवाब देने वाला पुलिस ऑपरेटर धोखाधड़ी वाले लेनदेन का ब्यौरा और कॉल करने वाले पीड़ित की बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी लिखता है और इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज करता है. फिर ये टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है और ये इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वो बैंक/वॉलेट हैं जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है.