Vaccination: भारत के वैक्सीनेशन अभियान ने बचाई 34 लाख से अधिक लोगों की जान, लॉकडाउन था जरूरी
वर्किंग पेपर में बताया गया है कि भारत ने अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 3.4 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई. टीकाकरण अभियान सिर्फ लोगों की जान बचाने के शुरू किया गया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने आज कोरोना टीकाकरण और उससे संबंधित मामलों के आर्थिक प्रभाव पर 'द इंडिया डायलॉग' सत्र को वर्चुअली संबोधित किया. इस डायलॉग का आयोजन इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस और यूएस-एशिया टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट सेंटर, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया था. केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने इस दौरान स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा "हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इंपैक्ट ऑन इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड इश्यूज" शीर्षक से वर्किंग पेपर भी जारी किया. इस लेख में हम इस वर्किंग पेपर के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालेंगे.
कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की दूरदर्शी सोच
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में 30 जनवरी को कोरोना अंतरराष्ट्रीय चिंता दिवस घोषित किया है लेकिन इससे बहुत पहले भारत में पीएम मोदी ने कोरोना महामारी के खिलाफ एक सकारात्मक प्रतिक्रिया शुरू कर दी थी. भारत ने कोरोना महामारी के दौरान सक्रिय, पूर्वव्यापी और श्रेणीबद्ध तरीके से 'संपूर्ण सरकार' और 'संपूर्ण समाज' दृष्टिकोण अपनाया और कोरोना के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक रणनीति अपनाई. " हीलिंग द इकोनॉमी: एस्टिमेटिंग द इकोनॉमिक इंपैक्ट ऑन इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड इश्यूज " शीर्षक से वर्किंग पेपर में वायरस के प्रसार को रोकने के उपाय के रूप में रोकथाम की भूमिका पर चर्चा की गई है. स्टैनफोर्ड रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीनी स्तर पर ठोस उपायों जैसे contact tracing, mass testing, home quarantine, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का वितरण, स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार और केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर हितधारकों के बीच निरंतर समन्वय ने न केवल कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में मदद की बल्कि स्वास्थ्य ढांचे को बढ़ाने में भी मदद की.
टीकाकरण अभियान ने बचाई 34 लाख से अधिक लोगों की जान
वर्किंग पेपर में कोरोना को लेकर भारत की रणनीति के तीन आधारशिलाओं - नियंत्रण, राहत पैकेज और टीकाकरण को विस्तार से बताया गया है. इन तीनों उपायों ने जीवन बचाने, COVID-19 के प्रसार को रोककर आर्थिक गतिविधि सुनिश्चित करने, आजीविका को बनाए रखने और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्किंग पेपर में बताया गया है कि भारत ने अभूतपूर्व पैमाने पर राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान चलाकर 3.4 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई. टीकाकरण अभियान सिर्फ लोगों की जान बचाने के शुरू किया गया था.
लॉकडाउन का फैसला था महत्वपूर्ण
'द इंडिया डायलॉग' सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. मंडाविया ने पीएम मोदी द्वारा समय से पहले लॉकडाउन के फैसले को एक महत्वपूर्ण फैसला बताया. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के फैसले ने सरकार को कोविड उपयुक्त व्यवहार को लागू करने और कोविड-19 से निपटने के लिए अपनी पांच-स्तरीय रणनीति टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण- पालन में सामुदायिक प्रतिक्रिया का लाभ उठाने में सक्षम बनाया. इस दौरान सरकार ने कोविड महामारी के इलाज के लिए स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे जैसे बिस्तरों, दवाओं पर फोकस किया. एन-95, पीपीई किट और मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के साथ ही साथ ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा, आरोग्य सेतु, कोविड-19 इंडिया पोर्टल आदि जैसे डिजिटल समाधानों की शुरुआत की गई. वायरस के उभरते रूपों की जीनोमिक निगरानी के लिए 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया गया.
दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
डॉ. मंडाविया ने बताया कि भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया, जिसमें 97% पहली खुराक और दूसरी खुराक का 90% कवरेज मिला. अभी तक कुल मिलाकर टीके की 2.2 बिलियन खुराक दी जा चुकी हैं. देश में सभी नागरिकों को नि:शुल्क टीके लगाए गए. 'हर घर दस्तक' जैसे अभियान और मोबाइल टीकाकरण टीमों के साथ-साथ को-विन वैक्सीन प्रबंधन प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल माध्यम की मदद से अंतिम पंक्ति तक टीके का वितरण सुनिश्चित किया गया. महामारी प्रबंधन की सफलता में लक्षित सूचना, शिक्षा और संचार के माध्यम से समुदाय में भय को दूर करना, महामारी को लेकर गलत सूचना पर रोक अहम योगदान है. वर्किंग पेपर में दर्शाया गया है कि टीकाकरण के लाभ इसकी लागत से अधिक हैं. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार सभी टीकों (COVAXIN और Covishield) के विकास ने देश को वायरस के घातक हमले से लड़ने में मदद की.