वाराणसी, 27 जनवरी, 2024: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रहे जिला न्यायाधीश को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है. जीपीआर सर्वे पर ASI ने कहा है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था. ASI की सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है. बताया गया है कि 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं. एएसआई की रिपोर्ट कहती है कि हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया.
विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने आज कहा कि ज्ञानवापी संरचना से ASI द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक भव्य मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था. Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के तहखाने में मिली मूर्ति... ASI की रिपोर्ट पर हिंदू पक्ष के दावे को मुस्लिम पक्ष ने किया खारिज
कुमार ने कहा कि वजूखाने में मिले शिवलिंग से कोई संदेह नहीं रह जाता है कि संरचना में मस्जिद का लक्षण नहीं है. उन्होंने कहा कि संरचना में मिले शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे नामों की खोज इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि यह एक मंदिर था.
Press statement:
HANDOVER THE GYANVAPI STRUCTURE TO HINDUS: ALOK KUMAR
New Delhi. Jan, 27,2024. The ASI, an official and expert body, has submitted its report to the District Judge hearing the Gyanvapi matter in Kashi. The Int’l working president of Vishva Hindu Parishad and… pic.twitter.com/vGNrTNvrSK
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) January 27, 2024
सरकार से अपील
आलोक कुमार ने यह भी कहा कि ASI द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य और दिए गए निष्कर्ष यह साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर के रूप में है. इस प्रकार, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार भी, संरचना को एक हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए.
विश्व हिंदू परिषद का सुझाव
- हिंदुओं को तथाकथित वजूखाना क्षेत्र में पाए गए शिवलिंग की सेवा पूजा करने की अनुमति दी जाए,
- इंतजामिया कमेटी से आग्रह करता है कि वह सम्मानपूर्वक ज्ञानवापी मस्जिद को दूसरे उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने और काशी विश्वनाथ के मूल स्थान को हिंदू समाज को सौंपने के लिए सहमत हो.
विहिप का मानना है कि यह धर्मी कार्य भारत के दो प्रमुख समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.