हिम्मतनगर (गुजरात), 26 अक्टूबर: गुजरात के साबरकांठा जिले में एक अपंजीकृत आवासीय विद्यालय के प्रशासक के खिलाफ कम से कम 12 छात्रों को सुबह जल्दी न उठने की सजा के तौर पर स्टील के गर्म चम्मच से दागने के आरोप में बृहस्पतिवार को मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने यह जानकारी दी.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि नचिकेता विद्या संस्थान के प्रशासक रंजीत सोलंकी के खिलाफ खेरोज थाना में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और किशोर न्याय अधिनियम के तहत मारपीट और अन्य अपराधों का मामला 10 वर्षीय छात्र के पिता की शिकायत पर आधारित है. पुलिस उपाधीक्षक स्मित गोहिल ने कहा, ‘‘आरोप है कि सोलंकी ने शिकायतकर्ता के बेटे और 11 अन्य छात्रों को लगभग दो महीने पहले स्टील के गर्म चम्मच से दागा था. उसे अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है.’’ कलयुगी बेटे की हैवानियत, बुजुर्ग मां को दी रूह कंपा देने वाली मौत, महिला को जिंदा फूंका
जिले के पोशिना तालुका का निवासी सोलंकी खेडब्रह्मा तालुका के खेरोज गांव में नचिकेता विद्या संस्थान का प्रशासक है. अधिकारियों ने कहा कि जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय की एक समानांतर जांच से पता चला कि यह विद्यालय नहीं है, बल्कि एक अपंजीकृत गुरुकुल है, जिसमें छात्रों को उपनिषद, रामायण और वेद पढ़ाने के लिए एक ट्रस्ट द्वारा छात्रावास सुविधा संचालित की जा रही है.
रामाभाई तराल की शिकायत के अनुसार, सोलंकी ने उनके नाबालिग बेटे और 11 अन्य छात्रों को सुबह जल्दी नहीं उठने के लिए डांटा था. शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि ट्रस्ट ने स्थानीय आदिवासियों को आश्वस्त किया कि नचिकेता विद्या संस्थान छात्रावास सुविधा वाला नियमित विद्यालय है और छात्र दसवीं कक्षा तक यहां पढ़ाई कर सकते हैं और रह सकते हैं.
तराल ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘एक हफ्ते पहले, मुझे किसी से पता चला कि विद्यालय में छात्रों पर अत्याचार किया जा रहा है. उस दावे की जांच करने के लिए, मैं कुछ दिन पहले विद्यालय गया था. हालांकि मेरे बेटे के पैरों पर जलने के निशान थे लेकिन उसने किसी अज्ञात डर से कुछ नहीं बताया. बाद में, उसने मुझे बताया कि दो महीने पहले सोलंकी ने उसे जल्दी नहीं उठने के लिए डांटा था.’’ तराल ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘हमें छात्रों से पता चला कि सोलंकी ने जल्दी न उठने की सजा के तौर पर 12 छात्रों को एक-एक करके गर्म चम्मच से दागा था. डर के मारे छात्रों ने इतने दिनों तक अपने अभिभावकों से कुछ नहीं कहा.’’
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