तेलंगाना में लैप्रोस्कोपी के बाद जटिलताओं से चार महिलाओं की मौत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

हैदराबाद, 31 अगस्त : तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले में डबल पंचर लैप्रोस्कोपी (डीपीएल) कराने के बाद जटिलताओं के कारण चार महिलाओं की मौत हो गई. जिले के इब्राहिमपट्टनम के सिविल अस्पताल में 25 अगस्त को आयोजित महिला नसबंदी शिविर में उनका ऑपरेशन हुआ. उन्होंने तीव्र आंत्रशोथ की शिकायत की और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. मंगलवार को दो मौतों की सूचना मिली, जिसमें मरने वालों की संख्या चार हो गई. जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ जी श्रीनिवास राव के अनुसार शिविर में 34 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया. जबकि 30 महिलाओं को छुट्टी दे दी गई, चार ने तीव्र आंत्रशोथ की शिकायत की और इलाज के लिए निजी अस्पतालों से संपर्क किया.

चारों महिलाओं ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सिविल अस्पताल के अधीक्षक को आजीवन निलंबित कर दिया है. राव ने कहा कि सर्जरी करने वाले डॉक्टरों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है. राज्य सरकार ने जन स्वास्थ्य निदेशक को जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि 30 महिलाओं की हालत स्थिर है, उनमें से कुछ को एहतियात के तौर पर निजाम के आयुर्विज्ञान संस्थान (एनआईएमएस), हैदराबाद में स्थानांतरित कर दिया गया है. डॉक्टर उन पर पैनी नजर रखे हुए थे. यह भी पढ़ें : UP: लड़की ने बात करने से मना किया, तो गुस्साए युवक ने काट दिया गला

राव ने कहा कि नसबंदी शिविर एक नियमित अभ्यास है जिसमें डीपीएल, ट्यूबेक्टोमी और पुरुष नसबंदी सर्जरी की जाती है. उन्होंने कहा, "अनुभवी डॉक्टर सर्जरी करते हैं. हम उन कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जिनके कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई." अधिकारी के अनुसार, डीपीएल उन महिलाओं के लिए पसंदीदा सर्जरी है जो न्यूनतम जटिलताओं के साथ स्थायी नसबंदी चाहती हैं. डीपीएल से गुजरने वाली महिलाओं को उसी दिन छुट्टी दी जा सकती है और वे तुरंत अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर देती हैं.

राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार के लिए 5-5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और दो बेडरूम के घरों की घोषणा की है. मृतक के जीवित बच्चों को आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा. इस बीच, राज्य मानवाधिकार आयोग ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया है. इसने रंगा रेड्डी के जिला कलेक्टर को लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करने और 10 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.