नई दिल्ली: डीआरडीओ (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक एवं ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले ए शिवतनु पिल्लई (A. Sivathanu Pillai) ने दावा किया है कि भारत हीलियम-3 प्राप्त करने के लिए 10 साल में चंद्रमा की सतह पर एक बेस स्थापित करने में सक्षम हो जाएगा.
पिल्लई ने कहा कि हीलियम-3 भविष्य की ऊर्जा का नया स्रोत है. हीलियम-3 एक गैर रेडियोसक्रिय पदार्थ है जो यूरेनियम की तुलना में 100 गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है.
डीडी न्यूज पर ‘वार एंड पीस’ कार्यक्रम में पिल्लई ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष कार्यक्रम में, हम उन चार देशों में शामिल हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी को लेकर महारत हासिल की है.’’ यह भी पढ़े- मिशन चंद्रयान-2 पर बोले ISRO चीफ, प्रधानमंत्री और देशवासियों ने बढ़ाया वैज्ञानिकों का हौसला
कार्यक्रम की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘भारत बहुमूल्य कच्चे माल (हीलियम-3 के) के प्रचुर भंडार का प्रोसेस करने के लिए चंद्रमा पर एक फैक्टरी स्थापित करने और उससे प्राप्त किये गये हीलियम-3 को पृथ्वी पर लाने में सक्षम हो जाएगा.’’