दिल्ली हाईकोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ जारी जुर्माना नोटिस पर लगाई रोक

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्‍ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएपीए) द्वारा जॉनसन एंड जॉनसन प्राइवेट लिमिटेड पर जुर्माना लगाने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी. एनएपीए ने कंपनी को कथित रूप से सेनेटरी नैपकिन पर कर घटने के बावजूद खरीदारों को उसका लाभ नहीं देने के लिए दंडित किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट (File Photo: IANS)

नयी दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्‍ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएपीए) द्वारा जॉनसन एंड जॉनसन प्राइवेट लिमिटेड पर जुर्माना लगाने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी. एनएपीए ने कंपनी को कथित रूप से सेनेटरी नैपकिन पर कर घटने के बावजूद खरीदारों को उसका लाभ नहीं देने के लिए दंडित किया है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने आदेश दिया कि 24 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख तक अमेरिकी कंपनी की भारतीय शाखा के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की जाए।

अदालत ने केंद्र सरकार, एनएपीए और मुनाफाखोरी रोधी महानिदेशक से उनकी प्रतिक्रिया भी मांगी है. इस संबंध में कंपनी ने जुर्माने की नोटिस को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी.

पीठ ने कहा, “हमें पहली नजर में ऐसा लगता है कि इस आदेश पर विचार करने की जरूरत है। याचिकाकर्ता (कंपनी) प्रथम दृष्टया मामला बनाने में सफल है, आदेश के अनुपालन को अगली सुनवाई की तारीख तक रोक दिया गया है।”जॉनसन एंड जॉनसन ने एनएपीए के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने 27 जुलाई 2018 और 30 सितंबर 2018 के बीच कर में कटौती का फायदा अपने ग्राहकों को नहीं दिया, और इस तरह उनसे 42.7 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जो केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है. यह भी पढ़े-जयपुर के बाद अब UP में जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी शैंपू की बिक्री पर लगी रोक, FSDA ने दूसरे उत्पादों के भी लिए नमूने

याचिकाकर्ता ने कहा कि 27 जुलाई 2018 से पहले सेनेटरी पैड्स पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता था, लेकिन उसके बाद इसे जीएसटी से छूट मिल गई। हालांकि कंपनी ने कोई भी इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया और इस उत्पाद के लागत मूल्य में बढ़ोतरी हो गई.

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