कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में मंदी का अनुमान, औंधे मुंह गिरे घरेलू बाजार

दुनियाभर में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है. कई देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही है. इस बीच वैश्विक स्टॉक और तेल बाजारों में बुधवार को भी गिरावट हुई.

सेंसेक्स (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के चलते वैश्विक मंदी (Worldwide Recession) का खतरा मंडराने लगा है. कई देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही है. इस बीच वैश्विक स्टॉक और तेल बाजारों में बुधवार को भी गिरावट हुई. निवेशकों की चिंताओं का असर घरेलू बाजार पर साफ नजर आया. बुधवार को प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 1709.58 अंकों की गिरावट के साथ 28,869.51 पर और निफ्टी 498.25 अंकों की गिरावट के साथ 8,468.80 पर बंद हुआ. जबकि कच्चे तेल का वायदा भाव बुधवार को 116 रुपये गिरकर 1,979 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गया.

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में मार्च डिलीवरी के लिए कच्चा तेल 116 रुपये या 5.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,979 रुपये प्रति बैरल के भाव पर आ गया. इसमें 39,756 लॉट के लिए कारोबार हुआ. इसी तरह अप्रैल डिलीवरी के लिए कच्चे तेल की कीमत 96 रुपये या 4.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,077 रुपये प्रति बैरल के भाव पर आ गई. इसमें 6,242 लॉट के लिए कारोबार हुआ. नोवल कोरोना वायरस सतह पर काफी देर तक जिंदा रहता है: शोध

विश्लेषकों के मुताबिक नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन चुका है. इसके कारण कमजोर कारोबार के चलते वैश्विक मंदी की संभावना है. यह महामारी वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर तेजी से धकेल रही है. दुनियाभर में कोविड-19 से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 2 लाख के पार हो चुका है. जबकि 8 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जानलेवा वायरस को नियंत्रण में लाने के लिए कई देशों ने सख्त कदम उठाए है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए कोरोनोवायरस (कोविड-19)को महामारी घोषित कर दिया है, जिसके बाद दुनिया भर के बाजारों में कमजोरी देखी जा रही है. वायरस की वजह से व्यापार थम सा गया है. यहां तक की पर्यटन पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. एयरलाइंस सेक्टर की कमर टूट चुकी है. जबकि एशिया-प्रशांत मार्गों पर अधिकांश समुद्री जहाजों से भी लेनदेन बंद पड़ा हुआ है. सीमाएं सील होने के कारण क्रोस बॉर्डर ट्रेड ठप है. परिणामस्वरुप इस वर्ष की पहली छमाही विश्व पर भारी पड़ने वाली है.

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