कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि देश टूटे.... राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराने पर बोले रॉबर्ट वाड्रा
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मुझे यही लगता है कि कांग्रेस धर्म की राजनीति से दूर रहती है. ऐसे में कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि देश टूटे.
नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस). आईएएनएस से खास बातचीत में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति समेत अलग-अलग मुद्दों पर तमाम सवालों के जवाब दिए. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं द्वारा निमंत्रण नहीं स्वीकार करने को लेकर भी उनसे सवाल पूछा गया. जिस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक सेक्युलर पार्टी है और हर मजहब का सम्मान करती है. Read Also: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक साथ चुनाव लड़ेगी कांग्रेस और NC, सीटों का हुआ ऐलान.
आगे रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मुझे यही लगता है कि कांग्रेस धर्म की राजनीति से दूर रहती है. ऐसे में कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि देश टूटे. वाड्रा ने आगे कहा कि जब लोग मुश्किल में होते हैं तो वो भगवान के पास जाते हैं. अगर उनको बांटा जाएगा कि आपको मंदिर आना है या मस्जिद आना है या गुरुद्वारे आना है तो ये गलत होगा.
उन्होंने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखने के सवाल पर कहा कि इंडिया गठबंधन जो भी चाहेगा, साथ ही देश के लोग जो चाहते हैं, वही प्रधानमंत्री बनेगा. लेकिन, इसके साथ ही वह यह भी कह गए कि राहुल में बहुत समझदारी है. उन्होंने अपनी दादी से, पिता जी से, सोनिया जी से बहुत सीखा है तो वो जरूर उसके लायक हैं. उन्होंने राहुल गांधी को लेकर कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो देश में जरूर प्रगति होगी और देश में जो सांप्रदायिक तनाव है, ये दूर होगा.
कांग्रेस से बड़े नेताओं के मोहभंग होने के सवाल पर रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मुझे लगता है कि जो भी नेता छोड़कर जा रहे हैं या तो उनमें मेहनत करने की क्षमता नहीं है या कोई लालच देकर उनको खींचा जा रहा है या जो मंत्री पद उनको मिलता है, वो अगर मंत्री नहीं है तो उससे उनको परेशानी है. ऐसे नेताओं को बस टिकट चाहिए या पद चाहिए तभी उस पार्टी में रहेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप वाले बयान पर उन्होंने कहा कि आप किसी के घोषणापत्र पर कुछ भी कहोगे, लेकिन अब लोग प्रगति की ओर देख रहे हैं, लोग चाहते हैं कि जो लीडर हैं, वो प्रगति की बात करें, जो मुश्किलें हैं, उसके सुधार की बात करें. मेनिफेस्टो पर इतना जोर देने से उन्हें लाभ नहीं होने वाला.