कोप्पल (कर्नाटक), 2 जनवरी: 1990 में राज्य में राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेने वाले कार सेवकों की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि उनकी सरकार इस संबंध में नफरत की राजनीति नहीं कर रही है. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ''जिन्होंने गलतियां की, उनके साथ क्या किया जाना चाहिए? क्या हमें उन्हें आजाद छोड़ देना चाहिए? उन्होंने कहा, ''हमने पुराने मामलों को निपटाने का निर्देश दिया है. पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है. हम नफरत की राजनीति नहीं कर रहे हैं. हम निर्दोषों को गिरफ्तार करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएंगे. यदि इस संबंध में अदालत का निर्देश होगा तो हम अदालत के निर्देश के अनुसार कार्य करेंगे.''
22 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करने की भाजपा की मांग के बारे में पूछे जाने पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि केंद्र सरकार को घोषणा करने दीजिए. यह केंद्र सरकार है जो अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का कार्यक्रम आयोजित कर रही है. केवल राम भक्तों को निमंत्रण दिए जाने के सवाल का जवाब देते हुए सीएम सिद्दारमैया ने कहा कि जिन्हें निमंत्रण मिला है वे शामिल होंगे, यह समिति पर छोड़ दिया गया है कि वे किसे आमंत्रित करना चाहते हैं. सूत्रों ने कहा, ''जैसे-जैसे अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करीब आ रहा है, कर्नाटक पुलिस विभाग ने राम मंदिर कार्यकर्ताओं के खिलाफ जांच के लिए मामले उठाए हैं, जो आंदोलन में संपत्ति के विनाश और अन्य मामलों में शामिल थे. यह भी पढ़ें : Odisha Gang Rape: ओडिशा की नाबालिग लड़की के साथ 13 लोगों ने किया गैंगरेप
सूत्रों ने कहा कि पुलिस विभाग ने एक विशेष टीम का गठन किया था और उन आरोपी व्यक्तियों की एक सूची तैयार की थी जो 1992 के राम मंदिर आंदोलन के दौरान पुलिस मामलों में शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा और सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं. हुबली पुलिस ने 5 दिसंबर 1992 को हुबली में एक अल्पसंख्यक के स्वामित्व वाली दुकान में आग लगाने के कथित मामले में श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया. पुजारी इस मामले में तीसरा आरोपी है और पुलिस मामले के संबंध में अन्य आठ आरोपियों की तलाश कर रही है. पुजारी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
इसी तरह हुबली पुलिस ने 300 आरोपियों की एक सूची तैयार की, जो कथित तौर पर 1992 और 1996 के बीच हुई सांप्रदायिक झड़पों में वांछित थे. कई आरोपी अब अहम पदों पर हैं और पुलिस उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के नतीजे पर भी विचार कर रही है. कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर इस संबंध में पुलिस विभाग को मामलों की जांच करने का निर्देश दिया है. सूत्रों ने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन में कई लोग अब प्रमुख भाजपा नेता हैं और जब भाजपा सत्ता में थी, तो प्रमुख नेताओं के खिलाफ मामले हटा दिए गए थे.
कांग्रेस सरकार के इस कदम के खिलाफ हिंदू संगठनों ने आक्रोश जताया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि चूंकि भाजपा और हिंदू संगठनों ने अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन की पृष्ठभूमि में घर-घर जाकर प्रचार किया है, इसलिए कांग्रेस सरकार प्रचार को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है और तीन दशक पहले रिपोर्ट मामलों पर कार्रवाई शुरू करने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है.'' इस घटनाक्रम से राज्य में बड़ा विवाद खड़ा होने की संभावना है. 1990 के दशक में वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा शुरू किए गए राम जन्मभूमि रथ यात्रा आंदोलन के दौरान कर्नाटक में बड़ी हिंसा देखी गई थी.