Bihar Chhath Puja: उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ ही महापर्व छठ संपन्न

लोक आस्था का पर्व छठ शुक्रवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया. इसके बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर ‘पारण’ किया.

Chhath Puja (img: pixabay)

पटना, 8 नवंबर : लोक आस्था का पर्व छठ शुक्रवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया. चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया. इसके बाद व्रतियों ने अन्न जल ग्रहण कर ‘पारण’ किया.

शुक्रवार को अहले सुबह से ही पटना सहित पूरे बिहार में गंगा तट से लेकर तालाबों, विभिन्न जलाशयों के किनारे बने छठ घाटों तक लाखों श्रद्धालुओं ने आकाश में सूर्य की लालिमा के साथ ही भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया गया. पटना के गंगा तट पर बड़ी संख्या में छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचे. इस दौरान बड़ी संख्या में व्रतियों ने अपने घरों की छतों पर भी भगवान भास्कर की आराधना की और अर्घ्य अर्पित किया. यह भी पढ़ें : Salman khan Death Threat: सलमान खान को फिर मिली लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम से धमकी, जांच में जुटी पुलिस

छठ पर्व को लेकर चार दिनों तक पूरा बिहार भक्तिमय रहा. मुहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे. राजधानी पटना की सभी सड़कों को दुल्हन की तरह सजाया गया. राजधानी के मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक की सफाई की गई. आम से लेकर खास तक के लोगों ने सड़कों की सफाई में व्यस्त रहे. हर किसी ने छठ पर्व में हाथ बंटाया.

छठ को लेकर पटना से लेकर पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे. गंगा के तटों से लेकर जलाशयों के घाटों पर अभूतपूर्व सुरक्षा के इंतजाम देखे गए. पटना में कई पूजा समितियों द्वारा भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की गई है. पूरा माहौल छठमय रहा. कई स्थानों पर तोरण द्वार लगाए गए तो कई पूजा समितियों द्वारा लाइटिंग की व्यवस्था की गई .

इधर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, बेतिया, मोतिहारी सहित सभी जिलों के शहरों से लेकर गांवों तक लोग चार दिनों तक छठ पर्व की भक्ति में डूबे रहे. औरंगाबाद के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर परिसर में लाखों श्रद्धालु छठ पर्व मनाने पहुंचे थे. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का यह महापर्व प्रारंभ हुआ था.

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