Azam Khan Hate Speech Case: राहुल गांधी के बाद क्या आजम खान की भी लोकसभा सदस्यता होगी बहाल!  हेट स्पीच मामले में SC सुनवाई को तैयार
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Azam Khan Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की उस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें 2007 के हेट स्‍पीच मामले के निर्धारण के लिए रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत द्वारा उन्हें अपनी आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया गया है. यह भी पढ़ें: Delhi Minor Rape Case: प्रेमोदय खाखा की पत्नी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, बलात्कार के आरोपी की आज होगी पेशी

न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्‍यायूमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अवगत कराया कि ट्रायल न्यायाधीश ने यह बताने के बावजूद स्थगन से इनकार कर दिया कि एक विशेष अनुमति याचिका शीर्ष अदालत के समक्ष विचाराधीन है. इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने याचिका को बुधवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. यह भी पढ़े: Azam Khan: सपा नेता आजम खान को एक और झटका, ‘Y’ श्रेणी की सिक्‍योरिटी हटाई गई

अपनी याचिका में, खान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है, जिसने निचली अदालत के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें एसपी नेता को यह साबित करने के लिए अपनी आवाज का नमूना देने को निर्देश दिया गया है कि ऑडियो कैसेट में रिकॉर्ड की गई आवाज उनकी है या नहीं.

इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने भी अपने द्वारा पारित उपरोक्त आदेश को वापस लेने की उनकी प्रार्थना को खारिज कर दिया था. पूर्व विधायक के खिलाफ 2007 में धीरज कुमार शील नाम के एक मुखबिर के कहने पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ अपमानजनक और आपत्तिजनक भाषण देने के आरोप में रामपुर के टांडा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

एमपी/एमएलए अदालत ने 2009 में जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और साथ ही खान को तलब किया. हाल ही में, खान को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.

खान को 2019 में हेट स्‍पीच के एक अन्य मामले में दोषी ठहराया गया था और 17 अक्टूबर, 2022 को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। इसके दो दिन बाद उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.