राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मनोज बाजपेयी का कहना है कि एक कलाकार के रूप में वह किसी भी किरदार को निभाने के लिए किसी फॉर्मूले का पालन नहीं करते, बल्कि हर बार चीजों को अलग दृष्टिकोण देते हैं. सामग्री केंद्रित और व्यावसायिक सिनेमा के बीच संतुलन बनाने वाले अभिनेता ने आईएएनएस से कहा, "मेरे पास कोई भूमिका निभाने के लिए कोई सूत्र नहीं है. मैं उनमें से प्रत्येक को अलग दृष्टिकोण से देखता हूं. मैं एक मध्यम वर्ग के व्यक्ति, पुलिस अधिकारी की भूमिका 50 बार निभा सकता हूं, लेकिन हर बार इसे अलग करना पड़ता है."
उन्होंने कहा, "अन्यथा प्रस्तुति देने का मजा क्या है? इसके अलावा, इस तरह की फिल्म के आधार पर दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है."
उन्होंने आगामी फिल्म 'सत्यमेव जयते' को व्यावसायिक फिल्म बताया. उन्होंने कहा, "इसलिए 'अलीगढ़' जैसी फिल्म से मेरी प्रस्तुति बिल्कुल अलग होनी चाहिए."
'सत्या' से प्रसिद्ध अभिनेता ने डीसीपी शिवांश की अपनी भूमिका के बारे में कहा, "यह एक एक्शन-थ्रिलर है. इसमें दो किरदारों पुलिस और आपराधी के बीच बिल्ली-चूहे की दौड़ है."
दिलचस्प बात यह है कि उनमें से दोनों कितने आपस में एक-दूसरे से संबंधित हैं. अंत में दोनों के संघर्ष को कैसे एक सामूहिक जमीन मिलती है.