नोएडा, 25 फरवरी : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का रूख जानना चाहा. नोएडा दौरे पर आए यादव ने इस मुद्दे के बारे में बातचीत की. एक दिन पहले ही उनकी समाजवादी पार्टी (सपा) ने बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराने की अपनी मांग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खारिज किये जाने पर विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डाली थी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना कराना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है. यादव ने यहां पार्टी के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुत स्मार्ट पार्टी है. भाजपा अपने उन नेताओं को आगे कर कर रही है जिन्हें उसने कुछ नहीं दिया. जाति आधारित जनगणना पर प्रधानमंत्री एवं (उत्तर प्रदेश के) मुख्यमंत्री का क्या जवाब है. यह ऐसा प्रश्न नहीं है जिसका जवाब छोटे नेता दे सकते हैं, यह नीतिगत विषय है.’’
उन्होंने याद किया कि जब केंद्र में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार थी तब मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं एवं दक्षिण के कई नेताओं ने जाति आधारित जनगणना के विषय पर कांग्रेस से संपर्क किया था. उन्होंने कहा, ‘‘ यह अलग बात है कि कांग्रेस ने पहले इस मांग को मानने से इनकार कर दिया था. बाद में वह इस मांग पर राजी हो गयी थी लेकिन उसने आंकड़े को सार्वजनिक नहीं किया.’’ उन्होंने यहां सेक्टर-63 स्थित हजरतपुर-वाजितपुर गांव में पार्टी नेता दिवंगत राजपाल यादव की प्रतिमा का अनावरण किया. सपा प्रमुख ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटकाने की लगातार कोशिश कर रही है. यह भी पढ़ें : ईपीएस को समर्थन देने का शीर्ष अदालत का फैसला झटका नहीं, हम जनता की अदालत में जाएंगे: पन्नीरसेल्वम
अखिलेश ने कहा, ‘‘हमें उनके (भाजपा) बहकावे में नहीं आना है. वर्तमान शासन काल में महंगाई चरम पर है. बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है. भ्रष्टाचार बेलगाम है. किसान, नौजवान सहित समाज का हर वर्ग परेशान है.’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘जब बिहार में जाति आधारित जनगणना हो सकती है तो उप्र में क्यों नहीं हो सकती. यदि सपा की सरकार बनी तो तीन महीने के अंदर जातीय जनगणना कराएंगे.’’उन्होंने कहा कि भले ही भाजपा ने दुबारा सरकार बना ली, पर न तो उसकी राजनीतिक विश्वसनीयता रह गई है और न ही वित्तीय विश्वसनीयता रह गई है क्योंकि सरकार वादे पूरे नहीं कर पा रही है.