इंदौर,17 फरवरी मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने शराब के अवैध परिवहन के आरोपों में तमिलनाडु के दो ट्रक चालकों के खिलाफ वर्ष 2019 के दौरान दर्ज मामले को रद्द कर दिया है और पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह आदेश भी दिया है कि वह दोनों चालकों को दो महीने के भीतर 20-20 लाख रुपये का मुआवजा अदा करे. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार चाहे, तो वह इस मुआवजे की वसूली उन अफसरों से भी कर सकती है जिन्होंने शराब परिवहन मामले की जांच में चूक की. यह भी पढ़ें: असम में नाबालिग से रेप के आरोप में शख्स गिरफ्तार
अदालत ने कहा कि दोनों चालकों को ‘‘तुच्छ’’ मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद 20 महीने तक जेल में बंद रखा गया जिससे उनके संविधानप्रदत्त बुनियादी अधिकारों का हनन हुआ.
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने ट्रक चालक सकुल हमीद (56) और सह-चालक रमेश पुल्लामार (41) द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका 14 फरवरी को मंजूर की.
अदालत ने बड़वानी जिले के नांगलवाड़ी पुलिस थाने में उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया और उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया.
यह मामला धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी के जरिये शराब के अवैध परिवहन के आरोपों को लेकर भारतीय दंड विधान एवं मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था.
ट्रक के चालकों को दो नवंबर 2019 को नांगलवाड़ी क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया था और 15 जुलाई 2021 को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद वह जेल से छूट सके थे.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि संबंधित पुलिस अधिकारियों की ‘‘सनक’’ के कारण ही दोनों चालकों के खिलाफ ‘‘तुच्छ’’ मामला दर्ज किया गया था.
एकल पीठ ने कहा कि यह अदालत का सुविचारित मत है कि मामले की जांच बदनीयती से की गई और वैध दस्तावेजों के साथ शराब ले जा रहे ट्रक को पुलिस द्वारा रोककर उसकी तलाशी लिए जाने और उसका एक-एक बक्सा गिने जाने की कोई जरूरत ही नहीं थी.
मामले में निचली अदालत में पेश आरोप पत्र में कहा गया कि ट्रक चालकों ने पुलिस को शराब के 1,600 बक्सों को चंडीगढ़ से केरल ले जाने का परमिट दिखाया, जबकि इस मालवाहक गाड़ी की तलाशी लिए जाने पर इसमें 1,541 बक्से ही मिले जिससे दस्तावेजों की जालसाजी का पता चलता है.
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