बेंगलुरु, 27 फरवरी कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन को झटका देते हुए भाजपा विधायक एस टी सोमशेखर ने मंगलवार को कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन को वोट दिया, जबकि पार्टी के एक अन्य विधायक अरबैल शिवराम हेब्बार मतदान से अनुपस्थित रहे।
कर्नाटक से राज्यसभा की चार सीट के लिये मंगलवार को मतदान हुआ।
सोमशेखर और हेब्बार भाजपा से नाराज हैं और हाल के महीनों में दोनों नेताओं को कांग्रेस के करीब आते देखा गया था।
सोमशेखर यशवंतपुर विधानसभा क्षेत्र का, जबकि हेब्बार येल्लापुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भाजपा नेताओं ने कहा कि सोमशेखर ने कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया और कहा कि पार्टी उनसे निपटने के लिए कानूनी विकल्प तलाशेगी।
नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें जानकारी मिली है कि सोमशेखर ने ‘क्रॉस वोटिंग’ की है। मेरा मानना है कि लोग बार-बार धोखा देने को पसंद नहीं करते।’’
पूर्व उपमुख्यमंत्री अशोक ने कहा, ‘‘मैंने वकील विवेक रेड्डी से सलाह ली है, जो हमारे राज्य विधिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय के वकील हैं। हम विधानसभा अध्यक्ष से उनके (सोमशेखर) खिलाफ कार्रवाई शुरू करने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहेंगे।
सोमशेखर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे और मंत्री (भाजपा सरकार में) के रूप में कार्य किया था और उन्हें मैसूरु जिले का प्रभारी मंत्री बनाया गया था।
अशोक ने सोमशेखर के फैसले को ‘‘राजनीतिक आत्महत्या’’ करार दिया।
सोमशेखर ने मतदान करने के तुरंत बाद संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा के अनुसार मतदान किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और उनके पक्ष में मतदान किया, जिन्होंने मेरे क्षेत्र में स्कूल का निर्माण कराया और विकास कार्य किये।’’
अशोक ने कहा कि हेब्बार सुबह से ही उनके संपर्क में थे और उन्होंने आश्वस्त किया था कि वह भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे।
अशोक ने कहा, ‘‘हेब्बार मुझसे कह रहे थे कि वह पार्टी को धोखा नहीं देंगे, लेकिन मैं नहीं जानता कि वह वोट डालने क्यों नहीं पहुंचे। आज उन्होंने हमें ‘डबल क्रॉस’ किया, जो नहीं करना चाहिये था। हम उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करेंगे।’’
गौरतलब है कि दोनों ही विधायक कांग्रेस छोड़कर 15 अन्य विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे, जिससे कर्नाटक में 14 महीने पुरानी कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की गठबंधन सरकार 2019 में गिर गई थी और भाजपा की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
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