कोलकाता, 5 जून : तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में गंगा के मैदानी इलाकों में अपना परचम लहराया और राज्य की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले पश्चिमी जंगलमहल क्षेत्र में भी बढ़त हासिल करते हुए यहां 29 में से 18 सीट हासिल की हैं. भाजपा हालांकि, उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल में मतुआ पट्टी पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने में सक्षम थी, जो राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में भी महत्व रखता है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने पिछले चुनाव की तुलना में सात अधिक सीट हासिल की हैं. उसने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 29 सीट पर जीत प्राप्त की है, जबकि भाजपा ने केवल 12 सीट जीतीं, जो 2019 में उसे प्राप्त सीटों से 18 कम हैं. कांग्रेस केवल एक सीट जीतने में सफल रही, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) पिछले चुनाव की तरह अपना खाता खोलने में विफल रही.
तृणमूल कांग्रेस ने गंगा के मैदानी इलाकों में 16 लोकसभा सीट में से 14 सीट जीती हैं. इस क्षेत्र में उत्तर और दक्षिण 24 परगना, कोलकाता, हावड़ा और हुगली जिले शामिल हैं. इस क्षेत्र में भाजपा की सीट तीन से घटकर दो रह गईं. तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने डायमंड हार्बर में ‘हैट्रिक’ बनाते हुए 7.10 लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की, जो शायद पिछले कुछ दशकों में पश्चिम बंगाल में जीत का सबसे ज्यादा अंतर है. भाजपा को बशीरहाट निर्वाचन क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की उम्मीद थी, जिसके अंतर्गत संदेशखालि आता है, लेकिन उसकी उम्मीदवार रेखा पात्रा को तृणमूल के हाजी नुरुल इस्लाम से लगभग दो लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा है. इस क्षेत्र में प्रभावी रही तृणमूल कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर और मौजूदा सांसदों के खराब प्रदर्शन के कारण छह सीट - उत्तर 24 परगना में तीन, दक्षिण 24 परगना में दो और हुगली में एक पर नए उम्मीदवारों को खड़ा किया. साल 2021 के विधानसभा चुनाव में भी, तृणमूल ने 24 परगना के दो जिलों में सभी सीट पर जीत हासिल की थी. यह भी पढ़ें : Tejasvi Yadav On BJP: ‘ मेरा देश महान है, जनता ने मोदी को हराया है, तानाशाही के खिलाफ वोट किया; तेजस्वी यादव का बयान-Video
तृणमूल कांग्रेस ने जंगली और आदिवासी बहुल पश्चिमी जिलों में भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिन्हें सामूहिक रूप से जंगलमहल के नाम से जाना जाता है. इस इलाके में आठ संसदीय क्षेत्र हैं. भाजपा और टीएमसी ने जंगलमहल में चार-चार सीट जीतीं, जबकि राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को 2019 की तुलना में एक सीट का फायदा हुआ. भाजपा को तब झटका लगा जब केंद्रीय मंत्री और निवर्तमान सांसद सुभाष सरकार बांकुरा सीट पर तृणमूल के अरूप चक्रवर्ती से 32,778 वोटों के अंतर से हार गए. हालांकि, भाजपा उत्तरी बंगाल में अपना प्रभुत्व बनाए रखने में सफल रही, जिसमें पहाड़ियां, तराई और दुआर्स शामिल हैं, जहां उसे आठ में से छह लोकसभा सीट पर जीत मिली है.
कांग्रेस उम्मीदवार इशा खान चौधरी ने मालदा दक्षिण से 1.28 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की. केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रमाणिक कूचबिहार में तृणमूल कांग्रेस के जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया से 39,250 वोटों से हार गए. जीतने वाले भाजपा उम्मीदवारों के लिए जीत का अंतर भी कम हो गया. दार्जिलिंग में निवर्तमान सांसद राजू बिस्ता की जीत का अंतर 2019 में 4.13 लाख से घटकर 2024 में 1.78 लाख हो गया, जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बालुरघाट सीट केवल 10,386 वोट से जीती. पिछले चुनाव में वह 33,293 वोट से जीते थे. दक्षिणी पश्चिम बंगाल में मतुआ बहुल पट्टी में, भाजपा ने बनगांव और राणाघाट दोनों पर जीत हासिल की है. केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने 73,693 वोट के अंतर से जीतकर बनगांव सीट बरकरार रखी. तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा पास की कृष्णानगर सीट से 56,705 वोट से जीत गई हैं.