देश की खबरें | उच्च न्यायालयों के अपने ही आदेशों के वापस लेने के मामले में कानून बनाएगी शीर्ष अदालत

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह खुली अदालतों में उच्च न्यायालयों द्वारा दिये गये अपने ही आदेशों को निरस्त किये जाने के मुद्दे पर कानून बनाएगा।

नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह खुली अदालतों में उच्च न्यायालयों द्वारा दिये गये अपने ही आदेशों को निरस्त किये जाने के मुद्दे पर कानून बनाएगा।

शीर्ष अदालत के सामने एक ऐसा मामला आया है जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय ने एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ धनशोधन के मामले को रद्द कर दिया था और बाद में अपने निर्देश को संशोधित करते हुए मामले की फिर से सुनवाई की थी।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड के एक भूखंड के कथित अवैध आवंटन के सिलसिले में पूर्व आईपीएस अधिकारी एम. एस. जाफर सैत के खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख तय की।

सर्वोच्च न्यायालय भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी सैत की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

उन्होंने दलील दी थी कि मामले में कार्यवाही रद्द करने की उनकी याचिका स्वीकार करने के कुछ दिनों के भीतर उनके मामले की फिर से सुनवाई की गई।

शीर्ष अदालत ने पहले इस मुद्दे पर मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी थी।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की रिपोर्ट का 30 सितंबर को निरीक्षण किया था तथा सैत के मामले को फिर से सुनवाई करने के उच्च न्यायालय के फैसले को 'बिल्कुल गलत' बताया था।

उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति वी. शिवज्ञानम की खंडपीठ ने 21 अगस्त को सैत के खिलाफ कार्यवाही को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार का वह मामला, जो ईडी मामले के लिए मुख्य अपराध है, पहले ही उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया है।

बाद में, आदेश को रद्द कर दिया गया और मामले की फिर से सुनवाई की गई तथा फैसला सुरक्षित रख लिया गया।

सैत के अनुसार, वर्ष 2011 में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके तहत उनके खिलाफ चेन्नई के तिरुवनमियूर में अवैध तरीके से तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड से भूखंड हासिल करने का आरोप लगाया गया था। डीवीएसी ने शिकायत के आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

उच्च न्यायालय ने 23 मई, 2019 को प्राथमिकी निरस्त कर दी थी। इसके बाद ईडी ने 22 जून, 2020 को डीवीएसी द्वारा दर्ज मामले के आधार पर ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने सतर्कता और भ्रष्टाचार-निरोधक निदेशालय द्वारा पूर्ववर्ती भ्रष्टाचार मामले को खारिज किये जाने के आधार पर ईडी के मामले को खारिज कर दिया।

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