देश की खबरें | राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं का दाखिला सबसे कम : सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 10 जून अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2019-20 के अनुसार, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी सबसे कम है वहीं शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की तुलना में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिला भागीदारी कम है।

शिक्षा मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 से 2019-20 के बीच उच्च शिक्षा में छात्राओं के दाखिले में कुल मिलाकर 18 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है।

सर्वेक्षण में कुल 1,019 विश्वविद्यालयों, 39,955 कॉलेजों और 9,599 अन्य संस्थानों को शामिल किया गया। यह सर्वेक्षण देश में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी देता है।

रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 से 2019-20 के बीच पांच वर्षों में विद्यार्थियों के नामांकन में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी अवधि के दौरान उच्च शिक्षा में छात्राओं के नामांकन में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2019-20 में उच्च शिक्षा में लिंग समानता सूचकांक (जीपीआई) 1.01 रहा जो 2018-19 में 1.00 था। यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच में सुधार का संकेत देता है।

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के निजी मुक्त विश्वविद्यालय (2,499) के तहत संस्थानों में छात्राओं की संख्या सबसे कम है, इसके बाद राज्य विधानमंडल कानून के तहत संस्थानों (3,702) का स्थान है। हालांकि राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में यह हिस्सेदारी सबसे अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम (24.7 प्रतिशत) है, इसके बाद डीम्ड विश्वविद्यालय सरकार (33.4 प्रतिशत) और राज्य के निजी विश्वविद्यालयों (34.7 प्रतिशत) का स्थान है। राज्य विधानमंडल कानून के तहत संस्थानों में महिलाओं की हिस्सेदारी 61.2 प्रतिशत है।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में छात्राओं की हिस्सेदारी 50.1 फीसदी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 48.1 फीसदी है। सर्वेक्षण में पाया गया कि स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की तुलना में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी कम है।

इसमें कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान एमए, एमएससी और एमकॉम स्तरों पर भी महिअलाओं की संख्या में वृद्धि हुयी है। हालांकि, बीसीए, बीबीए, बीटेक या बीई और एलएलबी जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी अब भी बहुत कम है।

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