2023 में जलवायु और पर्यावरण के निर्णायक पल

प्रचंड होते तापमान से लेकर एटमी ऊर्जा को हटाने के जर्मनी के फैसले तक और एक ऐतिहासिक वैश्विक समझौते से जीवाश्म ईंधनों से दूरी बरतने तक, पिछले 12 महीनों में, उतार-चढ़ाव से भरी पर्यावरण जगत की तमाम हलचल पर नजर.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

प्रचंड होते तापमान से लेकर एटमी ऊर्जा को हटाने के जर्मनी के फैसले तक और एक ऐतिहासिक वैश्विक समझौते से जीवाश्म ईंधनों से दूरी बरतने तक, पिछले 12 महीनों में, उतार-चढ़ाव से भरी पर्यावरण जगत की तमाम हलचल पर नजर.वैज्ञानिकों के मुताबिक 2023 सबसे गरम साल था. जीवाश्म ईंधनों को जलाने से होने वाला ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी इतना ज्यादा पहले कभी नहीं रहा.

एक स्वतंत्र जलवायु परामर्शदाता जॉन केनेडी ने डीडब्ल्यू को नवंबर में बताया, "हम ला नीना से एलनीनो की तरफ बढ़ रहे हैं लिहाजा तापमान में थोड़ी बहुत वृद्धि तो हम मानकर चल ही रहे थे. लेकिन जिस दर से तापमान ने छलांग लगाई, उसने सभी को हैरान किया."

तापमान और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी

विश्व मौसम संगठन ने जुलाई में बताया कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों में ज्यादा गर्म और ज्यादा शुष्क मौसम लाने वाला एलनीनो पैटर्न लौट आया है. सालाना तापमान में स्वाभाविक विभिन्नता रहती है लेकिन पिछला दशक पूर्व औद्योगिक स्तरों से करीब 1.2 डिग्री सेल्सियस ऊपर का वैश्विक औसत तापमान देख ही चुका है. 2023 में ये 1.4 डिग्री ज्यादा था.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन के महासचिव पेटरी टालास ने कहा, "ग्रीनहाउस गैस के स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. समुद्र के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि है. अंटार्कटिक की बर्फ में रिकॉर्ड गिरावट है. एक भीषण कोलाहल के साथ सारे रिकॉर्ड टूट हो रहे हैं.

बाढ़, जंगल की आग और सूखा

इस रिकॉर्ड तापमान की अनदेखी करना मुश्किल था और ये सिर्फ इसलिए नहीं कि यूरोप से लेकर एशिया और वृहद अमेरिका तक, हर तरफ प्रचंड लू देखी जा रही थी. जलवायु परिवर्तन से जुड़ी मौसमी प्रचंडताओं ने कई देशों और क्षेत्रों को झिंझोड़ डाला.

फरवरी और मार्च में पांच हफ्तों से भी ज्यादा समय तक, ट्रॉपिकल साइक्लोन फ्रेडी ने हिंद महासागर को पार कर सबसे ज्यादा लंबी अवधि तक बने रहने वाले तूफान का दर्जा हासिल किया. तीन बार ये जमीन से टकराया, जिस वजह से मैडागास्कर, मोजाम्बिक और मलावी में तीव्र बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुई.

सितंबर में डेनियल तूफान की वजह से यूनान, बुल्गारिया और तुर्की में भारी बाढ़ आ गई. इसके बाद तूफान ने भूमध्यसागर पार कर लीबिया का रुख किया. वहां उसका कहर टूटा और डेरना बंदरगाह तहसनहस हो गया, कम से कम 5,000 लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए.

जंगलों में आग भड़कने की घटनाओं में इजाफा हुआ. कनाडा में सीजन की सबसे भीषण आग दर्ज की गई. पूरे देश में, सीरिया के आकार की एक करोड़ 85 लाख हेक्टेयर जमीन उस आग में खत्म हो गई. कनाडा में जंगल की आग भड़कने के नियमित सीजन में औसतन 25 लाख हेक्टेयर जमीन जल जाती है. इस आग ने हवाई, चीले (चिली) के कुछ हिस्सों और दक्षिणी यूरोप और कैनरी द्वीप समूह में कई वनक्षेत्रों को भी तबाह किया.

मध्य और दक्षिण अमेरिका, यूरोप और पूर्वी अफ्रीका में आग और बाढ़ की बहुत सी घटनाएं, गंभीर और लंबी अवधि वाले सूखों की वजह से भड़की थी. ज्वलनशील सूखे जंगल, बेकाबू आग की चपेट में ज्यादा जल्दी आते हैं, और लंबी अवधि के सूखे, मिट्टी को इतना कड़ा बना देते हैं कि वो अचानक होने वाली बारिश को नहीं सोख पाती.

एटमी ऊर्जा को जर्मनी की विदा

अप्रैल में जर्मनी ने अपने आखिरी तीन एटमी ऊर्जा संयंत्र बंद कर दिए. इस तरह, 2011 में फुकुशिमा एटमी आपदा के बाद पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल का लिया संकल्प आखिरकार पूरा हुआ. पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस कदम का स्वागत किया, हालांकि परमाणु कचरे की समस्या बनी हुई है.

लेकिन जर्मन न्यूक्लियर एडवोकेसी समूह केर्नडी जैसे पक्षों ने, कम कार्बन उत्सर्जन वाल एटमी विकल्प को विदा करने के सरकारी कदम की आलोचना की. एक डीडब्ल्यू इंटरव्यू में उसने बताया कि ऊर्जा संकट की वजह से "कोयला आधारित बिजली उत्पादन में तीव्र वृद्धि" हुई है.

हालांकि जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक, अप्रैल में उस बयान के बाद से, 2023 की तीसरी छमाही में कोयला आधारित बिजली उत्पादन का हिस्सा पिछले साल के मुकाबले करीब आधा हो चुका है.

दिसंबर में कॉप28 जलवायु सम्मेलन में 120 से ज्यादा देशों ने दुनिया में स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक तीन गुना करने का संकल्प किया था. लेकिन फ्रांस, अमेरिका और जापान समेत 20 देशों ने ये भी ऐलान किया कि अपने जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए 2050 तक वे अपने यहां एटमी ऊर्जा उत्पादन तेज करेंगे.

कॉप28: जीवाश्म ईंधनों से दूरी बरतने पर सहमति

संयुक्त राष्ट्र के सालाना जलवायु सम्मेलन की मेजबानी, तेल और गैस के धनी देश, संयुक्त अरब अमीरात ने की थी. और अध्यक्षता की थी, देश के सुल्तान अल-जबेर ने जो विशाल सरकारी तेल कंपनी के मालिक भी हैं. कई लोगों की निगाह में दोनों विवादास्पद विकल्प थे.

वार्ता सकारात्मक तौर पर शुरू हुई. जलवायु विपदाओं से बर्बाद देशों को मुआवजा देने के लिए एक लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना की गई. जलवायु परिवर्तन में गरीब देशों की भूमिका अक्सर ना के बराबर रही है लेकिन सबसे ज्यादा मार उन्ही पर पड़ती है.

कॉप28 का समापन होते होते, फंड में 70 करोड़ डॉलर (633 मिलियन यूरो) जमा हो गए. हालांकि ये राशि अपेक्षा से काफी कम है. जलवायु विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक, 2030 तक फंड में सालाना 150-400 अरब डॉलर की धनराशि रखनी होगी.

कई दिनों की माथापच्ची के बाद, दुनिया के नेता आखिरकार जीवाश्म ईंधनों से अलग होने या उसमें बदलाव (ट्रांजिशन अवे) पर सहमत हो पाए. पहली बार किसी कॉप संधि में ऐसी शब्दावली आई थी.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन श्टेल ने कहा कि 200 देशों के हस्ताक्षर वाला समझौता, जलवायु संकट का प्रमुख कारण बन चुके जीवाश्म ईंधनों की समाप्ति की शुरुआत का संकेत है.

लेकिन कॉप समझौते में निर्धारित तारीख तक तेल, गैस और कोयला के टोटल फेजआउट यानी पूरी तरह से हटाने पर कुछ नहीं कहा गया. श्टेल ने आगाह किया कि ये कमियां जीवाश्म ईंधन से जुड़े स्वार्थों की ओर हमें झुकाएंगी जिससे उभरते जलवायु संकटों से लोगों की हिफाजत की अपनी सामर्थ्य को हम गंवा बैठेंगे."

यूरोपीय संघ का ऐतिहासिक जैवविविधता कानून

यूरोपीय संघ ऐतिहासिक जैवविविधता कानून बनाने पर सहमत हुआ जिसके तहत सदस्य देशो को अपनी खराब हो चुकी कम से कम 20 फीसदी जमीन और समुद्री बसाहटों को 2030 तक बहाल करना होगा.

इसमें तमाम नष्ट जैवप्रणालियों को 2050 तक बहाल करने की डेडलाइन भी दे दी जाएगी. यूरोपीय संघ का कहना है कि इससे जलवायु निरपेक्षता तक पहुंचने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने में मदद मिलेगी. यूरोपीय महाद्वीप पर कोई 80 फीसदी बसाहटें खराब स्थिति में हैं.

पर्यावरण की मुहिम से जुड़े कार्यकर्ता इस बात से निराश थे कि कड़े विरोध का सामना कर रहे मूल प्रस्ताव को सदस्य देशों के लिए कई छूटों के साथ हल्का कर दिया गया. पर्यावरण समूह डब्लूडब्लूएफ के सैबियन लीमान्स कहते हैं, "जलवायु और जैवविविधता की आपात स्थितियों से निपटने के लिए विज्ञान जिन कदमों को उठाना जरूरी बताता है, उनसे ये बिल्कुल ही अलग है." 2024 के शुरु में इस कानून के अमल में आ जाने की संभावना है.

यूरोपीय संघ ने माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने के लिए व्यापक उपायों की एक ऋंखला को मंजूरी भी दी. एक गैरनिर्वनीकरण कानून भी मंजूर किया गया जिसके तहत चमड़े, पाम ऑयल और लकड़ी जैसे निर्यातित उत्पाद शामिल हैं.

लेकिन विवादास्पद खरपतवार नाशक ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल को अगले 10 साल के लिए बढ़ा दिया गया. इसके अलावा यूरोप में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बना हुआ है. सितंबर में डीडब्लू और यूरोपीय डाटा जर्नलिज्म नेटवर्क के विश्लेषण ने ये दिखाया.

अमेजन में जंगल कटने की रफ्तार में आई कमी

ये साल ब्राजील के लिए एक निर्णायक मोड़ लेकर आया. राष्ट्रपति लुईस इनाकियो लुला डा सिल्वा ने दोबारा सत्ता हासिल कर अमेजन में जंगल की कटान पर रोक लगाने के अपने वादे पर अमल किया. पूर्व राष्ट्रपति और जलवायु परिवर्तन पर शक जताने वाले नेता जायर बोलसोनारो के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई-छंटाई और सफाई की जा रही थी.

2018 के बाद, पहली बार ब्राजील के अमेजन में जंगलों की कटान में इतनी गिरावट आई है.

लेकिन संरक्षणवादियों की ओर से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े रक्षा कवचों में से एक अमेजन में, कृषि और बीफ इंडस्ट्री पर और सख्त नियंत्रण की लगातार पैरवी की जा रही है.

ग्रीनपीस ब्राजील की क्रिस्टियाने माजेती ने अप्रैल में डीडब्ल्यू को बताया, "चरागाह वाली जमीन का लगातार विस्तार किया जा रहा है, इसी के चलते अमेजन में जंगल कट रहे हैं."

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