देश की खबरें | न्यायालय ने कोविड पीड़ित मृतकों के अंतिम संस्कार में पारसी आस्था के तत्वों का ध्यान रखने को कहा

नयी दिल्ली, 17 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह कोविड-19 से मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के लिए इस तरह से प्रोटोकॉल में बदलाव पर विचार कर सकती है कि पारसी आस्था के आवश्यक तत्वों का भी ध्यान रखा जा सके।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन और केंद्र सरकार के अधिकारियों तथा सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की अनौपचारिक डिजिटल बैठक हो सकती है और सुझाव रखे जा सकते हैं तथा प्रोटोकॉल में थोड़ा बदलाव किया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं (पारसी समुदाय के बोर्ड) ने एक प्रोटोकॉल सुझाया है। आप प्रोटोकॉल से देख सकते हैं कि अगर कोई चीज जोड़ने की जरूरत है तो अतिरिक्त सुरक्षा मानक रखे जा सकते हैं और समुदाय की चिंताओं पर ध्यान दिया जा सकता है।’’

उसने कहा कि केंद्र सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर वास्तव में चिंता है लेकिन विचारों का आदान-प्रदान किया जा सकता है।

पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘अगर आप प्रोटोकॉल देख सकते हैं और प्रोटोकॉल में कुछ बदलाव कर सकते हैं तो इन्हें नरीमन साहब से साझा कीजिए। आप स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों की डिजिटल बैठक बुला सकते हैं। देखिए कि प्रोटोकॉल में कहां तक बदलाव किया जा सकता है।’’

सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि उन्होंने हलफनामा दाखिल कर बताया है कि यह वैज्ञानिक रूप से संभव नहीं लगता।

नरीमन ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शवों के अंतिम संस्कार के साथ-साथ मृतकों की गरिमा को लेकर भी सख्ती से कायम हैं। हमारे पास वे सभी सुरक्षा उपाय हैं, जो वे प्रदान कर रहे हैं।’’

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ परामर्श करके कोविड संक्रमित मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

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