देश की खबरें | ठाणे अदालत ने महिला से बलात्कार के आरोपी को बरी किया

ठाणे, छह नवंबर महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने एक महिला से बलात्कार करने के 46 वर्षीय आरोपी को दोषमुक्त करार दिया है।

महिला और आरोपी के बीच करीब 14 साल से शारीरिक संबंध थे।

ठाणे जिला न्यायाधीश डॉ. रचना आर. तेहरा ने कहा कि महिला विवाहित है और उसके दो बच्चे है। उन्होंने कहा कि महिला को यह अच्छे से पता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा।

अदालत ने एक नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा कि उसने आरोपी के साथ करीब 14 साल तक संबंध रखे जो एक बहुत लंबा समय है और यह स्वीकार करना असंभव है कि उसने धमकियों के कारण इतने लंबे समय तक आरोपी के साथ संबंध बनाए रखे।

आदेश की प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई। इसमें महिला की उम्र का जिक्र नहीं किया गया है और न ही यह बताया गया है कि यह घटना किस स्थान की है।

अदालत ने आरोपी की मां को भी बरी कर दिया, जिसके खिलाफ विभिन्न आरोपों को लेकर इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था।

अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि पीड़िता आरोपी की पड़ोसी थी और उसे बहुत अच्छे से जानती थी।

पीड़िता ने 24 अक्टूबर, 2013 को आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया था कि महिला का विवाह 1992 में हुआ था।

महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसकी मां का स्वास्थ्य खराब होने के बहाने उसे घर पर बुलाया और जब वह उसके घर गई, तो उसे आरोपी की मां स्वस्थ मिलीं।

अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि आरोपी ने महिला को एक नशीला पेय पदार्थ दिया, जिसे पीने के बाद वह बेहोश हो गई और जब वह होश में आई तो उसे बेचैनी और दर्द हो रहा था।

उसने कहा कि कुछ दिन बाद आरोपी ने महिला को फिर फोन किया और धमकी दी कि यदि उसने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए तो वह उसकी अश्लील तस्वीरें इंटरनेट पर साझा करेगा और उसके बच्चों को जान से मार देगा, जिसके बाद महिला ने डर के कारण आरोपी से शारीरिक संबंध बनाए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन बातों से यह पता चलता है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए अभियोजन पक्ष के बयान और मुकदमे के दौरान अदालत के समक्ष दर्ज किए गए बयान में एक नहीं बल्कि विभिन्न विरोधाभास हैं।’’

अदालत ने कहा कि इसके अलावा प्राथमिकी दर्ज कराने में 14 साल की देर की गई जिससे अभियोजन पक्ष के मामले पर गहरे संदेह पैदा होते हैं।

उसने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कहा है कि आरोपी ने उसे अश्लील तस्वीरें या वीडियो साझा करने की धमकी दी थी, लेकिन ये तस्वीरें या वीडियो अदालत के सामने पेश नहीं किए गए।

अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए भी रिकॉर्ड में कोई सबूत नहीं है कि पीड़िता को बेहोश करने वाला कोई पदार्थ या कोई नशीला पदार्थ दिया गया था।

उसने कहा कि इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि बलात्कार के आरोप में प्राथमिकी देरी से दर्ज कराना अभियोजक के मामले को आमतौर पर प्रतिकूल असर नहीं डालता, लेकिन मौजूदा मामले में अभियोजन पक्ष के बयान विश्वसनीय नहीं हैं और इस मामले की परिस्थतियों को देखते हुए देरी भी आरोपी को बरी किए जाने का एक कारण है।

सिम्मी मनीषा

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