नयी दिल्ली, 17 फरवरी पाकिस्तान के 65 वर्षीय एक व्यक्ति की जयपुर के आरएचएल-राजस्थान अस्पताल में ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रत्यारोपण (टीएवीआई) प्रक्रिया हुई, जो कि असंभव सी थी क्योंकि डॉक्टरों ने एक साल से भी कम समय में उसकी दूसरी ओपन हार्ट सर्जरी से इनकार कर दिया था।
टीएवीआई के विशेषज्ञ डॉ रवींद्र सिंह राव ने कहा कि मरीज इस प्रक्रिया के पांच दिन बाद ही पाकिस्तान वापस चला गया।
कराची से राजस्थान अस्पताल पहुंचने पर, शायेद नासिर अहमद का राव और डॉक्टरों की एक टीम द्वारा पुनर्मूल्यांकन किया गया।
डॉ राव ने कहा, ‘‘माइट्रल वाल्व में रिसाव का आकलन करने के लिए एक 3 डी टीईई परीक्षण किया गया था और रोगी को वाल्व के पूर्ववर्ती पत्रक (पर्दे) में 3.5 मिमी छिद्र दोष का पता चला था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार का दोष बहुत दुर्लभ है और इसका इलाज करना मुश्किल है क्योंकि इस दोष में प्रत्यारोपित कोई भी उपकरण वाल्व की गतिशीलता और कार्य को प्रभावित कर सकता है।’’
मरीज को कैथ लैब में ले जाया गया और वाल्व रिसाव की पहचान करने के लिए एंजियोग्राफी की गई। इसे सफलतापूर्वक एक डिवाइस से बंद कर दिया गया। ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी।
उन्हें प्रक्रिया के बाद रात भर आईसीयू में रखा गया और एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया गया। अस्पताल ने बताया कि पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह वापस कराची चले गए।
टीएवीआई एक न्यूनतम इनवेसिव गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है जो डॉक्टरों को रोगी की छाती को खोले बिना दिल में एक वाल्व को बदलने की अनुमति देती है।
टीएवीआई प्रक्रिया के फायदों पर चर्चा करते हुए, मेट्रो अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ समीर गुप्ता ने कहा, ‘‘टीएवीआई इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में एक सफलता है। यह न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया उन लोगों के लिए है जिन्हें पारंपरिक सर्जरी से उच्च जोखिम हैं। इस प्रक्रिया ने महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस वाले रोगियों के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं। इसमें कम जोखिम है और मरीज अपनी उपचार दर के आधार पर 48 घंटे या तीन से पांच दिनों के भीतर घर लौट सकते हैं।’’
अस्पताल ने अपने बयान में कहा कि कराची स्थित शायेद नासिर अहमद की पाकिस्तान में मई 2022 में ओपन हार्ट सर्जरी और महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन हुआ था। लेकिन कुछ दिनों के भीतर, उन्हें माइट्रल वाल्व से रिसाव का पता चला।
समाधान वाल्व को एक और ओपन हार्ट सर्जरी के साथ बदलना था। लेकिन चूंकि उन्होंने हाल ही में इसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था, इसलिए एक और सर्जरी को उनके लिए उच्च जोखिम माना गया था।
अहमद ने कहा, ‘‘हमने इंटरनेट के माध्यम से पागलों की तरह ब्राउज़ करना शुरू कर दिया और तभी हम डॉ. रवींद्र सिंह राव से मिले, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया कि टीएवीआई मेरे लिए सुरक्षित होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल में, कर्मचारी और डॉक्टर सौहार्दपूर्ण थे और हमें कभी नहीं लगा कि हम एक अलग देश में हैं।’’
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