देश की खबरें | स्वाति मालीवाल मारपीट मामला: अदालत ने गिरफ्तारी के खिलाफ बिभव कुमार की याचिका खारिज की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के सिलसिले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

नयी दिल्ली, दो अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के सिलसिले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कुमार की याचिका खारिज कर दी। कुमार ने अपनी गिरफ्तारी को कई आधारों पर चुनौती दी थी, जिनमें यह भी शामिल था कि दिल्ली पुलिस ने एक "परोक्ष उद्देश्य" से काम किया था। न्यायमूर्ति कृष्णा ने कहा, ‘‘याचिका खारिज की जाती है।’’

कुमार वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने 13 मई को केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल के साथ मारपीट की थी। कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।

कुमार ने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन तथा कानून के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध किया था और कहा कि कुमार को ‘‘जल्दबाजी में’’ गिरफ्तार नहीं किया गया था, उन्हें कानून के अनुसार हिरासत में लिया गया था।

कुमार के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आपराधिक धमकी, महिला पर हमला या उसे निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या का प्रयास शामिल है।

कुमार की जमानत याचिका निचली अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी हैं और अब यह उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

बारह जुलाई को, उच्च न्यायालय ने कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनका "काफी प्रभाव" है और उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।

गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका में, कुमार ने अपनी "अवैध" गिरफ्तारी के लिए "उचित मुआवजे" और उनकी गिरफ्तारी के निर्णय लेने में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का भी अनुरोध किया था।

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