रांची, 11 अक्टूबर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय से कहा कि कथित धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें जारी समन अवांछित है. उनके वकील पी. चिदंबरम ने मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ से कहा कि यह साफ नहीं है कि सोरेन को गवाह के तौर पर तलब किया गया है या आरोपी के तौर पर.
चिदंरबम ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दलीलें दीं. मामले पर 13 अक्टूबर को फिर से सुनवाई होगी.
ईडी ने सोरेन को 14 अगस्त को रांची में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने और बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज करने के लिए समन भेजा था. उच्चतम न्यायालय ने जब समन के खिलाफ सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया। 18 सितंबर को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मुख्यमंत्री को मामले में राहत के लिए झारखंड उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की छूट दी. अदालत ने छह अक्टूबर को सोरेन से 23 सितंबर को दायर याचिका में त्रुटियों को सुधारने के लिए कहा जिसमें ईडी द्वारा उन्हें भेजे गए समन को चुनौती दी गई है.
सोरेन ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से ईडी द्वारा उन्हें जारी समन पर रोक लगाने का आग्रह किया है. सोरेन ने उन्हें समन भेजने के लिए जांच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ईडी द्वारा घेरने का एक कारण राजनीतिक प्रतिशोध है. ईडी ने सोरेन को 14 अगस्त को रांची में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने और बाद में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए समन भेजा था. वह पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कथित रक्षा भूमि घोटाला मामले में ईडी के समन पर भी उपस्थित नहीं हुए थे.
सोरेन को एजेंसी ने कई बार अपने कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा था लेकिन वह पेश नहीं हुए. सूत्रों ने बताया कि ईडी का इरादा मुख्यमंत्री से भू-माफियाओं, वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीनितक नेताओं से जुड़े करोड़ों रुपये के भूमि घोटालों के संबंध में पूछताछ करने का है. झामुमो नेता से ईडी ने पिछले साल 17 नवंबर को राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन के एक अन्य मामले में नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी.
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