देश की खबरें | 2015 से अब तक मध्यप्रदेश में पश्चिम मध्य रेलवे मार्गों पर 22 जंगली जानवर ट्रेनों की चपेट में आए

भोपाल, 21 अक्टूबर मध्यप्रदेश में 2015 से अब तक पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के मार्गों पर कम से कम 22 जंगली जानवर ट्रेनों की चपेट में आए हैं जिसकी कथित वजह ट्रेन की गति और अंडरपास की कमी है। एक आरटीआई आवेदन के जवाब में यह खुलासा हुआ ।

इसमें कहा गया है कि 10 वर्षों में बरखेड़ा और बुधनी संभागों में रातापानी वन्यजीव अभयारण्य और बाघ संरक्षित क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन को पार करते समय 14 तेंदुए, चार बाघ, तीन बाघ शावक और एक भालू मारा गया।

केंद्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और रेलवे पर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड समिति द्वारा लगाई गई शर्तों की समीक्षा के लिए पिछले महीने आयोजित एक बैठक में वन विभाग ने व्यस्त दिल्ली-चेन्नई रेल मार्ग पर तीसरी रेलवे लाइन के निर्माण में विसंगतियों को उठाया।

वन विभाग ने बारिश के दौरान भर जाने वाले नालों या नालों पर ‘अंडरपास’ बनाने जैसे मुद्दे भी उठाए, जिससे जानवरों को रेलवे लाइन से पार करना पड़ता है।

दस्तावेज के अनुसार, बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, हर एक किलोमीटर पर 30 मीटर का एक पशु पास बनाया जाना चाहिए।

इसमें ट्रेनों पर 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति प्रतिबंध लगाने, पटरियों के पास जल-जमाव वाले स्थानों को ढंकने और लाइन से दूर जल निकायों का निर्माण करने, बेहतर दृश्यता के लिए रेलमार्गों के पास घास को साफ करने और यात्रियों और पेंट्री कर्मचारियों द्वारा फेंके गए कचरे को हटाने जैसे उपायों पर भी चर्चा की गई।

वन विभाग द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में ‘पीटीआई-’ से बात करते हुए सोमवार को एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने नए मार्ग पर डिजाइन के अनुसार सभी ‘अंडरपास’ का निर्माण किया है, जो लगभग 22 है। ‘ओवरपास’ का निर्माण जारी है, और यह जून 2025 तक पूरा हो जाएगा।’’

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