शरद पवार, उद्धव ठाकरे, दिग्विजय सिंह 12 दिसंबर को नागपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे: अनिल देशमुख
Anil deshmukh

नागपुर, 6 दिसंबर : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेता दिग्वियज सिंह 12 दिसंबर को राकांपा की ‘युवा संघर्ष यात्रा’ के समापन के अवसर पर नागपुर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. राकांपा के शरद पवार गुट से ताल्लुक रखने वाले देशमुख ने कहा कि तीनों नेता नागपुर के झिरो माइल इलाके में जनसभा को संबोधित करेंगे. विभिन्न मुद्दों को उठाने के लिए यह यात्रा 24 अक्टूबर को कर्जत-जामखेड सीट से राकांपा विधायक रोहित पवार के नेतृत्व में पुणे से शुरू हुई थी. विधायक ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि पदयात्रा नागपुर के लगभग 120 किमी करीब पहुंच गई है. राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान 800 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने के बाद यात्रा का समापन नागपुर में होगा.

उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर को नागपुर में जनसभा के दौरान शरद पवार, ठाकरे और दिग्विजय ‘‘मुख्य रूप से’’ मौजूद रहेंगे, वहीं राकांपा, शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस सहित महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा. इस दिन राकांपा संस्थापक 83 वर्ष की आयु के हो जाएंगे. देशमुख ने कहा कि राकांपा बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लंबित मुआवजे का मुद्दा उठाएगी और कपास तथा सोयाबीन के लिए उच्चतर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) की मांग करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल अपने ज्ञापन के साथ सरकारी अधिकारियों से मिलेगा. यह भी पढ़ें : काफी अधिक क्रिकेट से हरफनमौलाओं का विकास प्रभावित हो रहा: कैलिस

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देशमुख ने यह भी कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ कई विधायक स्वेच्छा से गठबंधन सरकार में शामिल नहीं हुये थे. उन्होंने दावा किया कि वे जल्द ही शरद पवार गुट में वापस आ जाएंगे. अजित पवार और राकांपा के आठ वरिष्ठ नेता जुलाई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना गठबंधन सरकार में शामिल हो गये थे और पार्टी (राकांपा) दो गुटों में विभाजित हो गई थी. देशमुख ने यह भी विश्वास जताया कि विधानसभा चुनाव में एमवीए जीत हासिल कर राज्य की सत्ता में वापसी करेगा. पिछले साल शिंदे के नेतृत्व में राकांपा में हुई बगावत के बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी. वहीं, शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया था.