जरुरी जानकारी | कोविड टीके की भारी कमी, पर अनिवार्य लइसेंस की दिशा में एकतरफा कार्रवाई से बचा जाए: : फिक्की

नयी दिल्ली, 13 मई उद्योग संगठन फिक्की ने कहा कि देश में इस समय कोविड-19 टीके की मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़ा असंतुलन है और टीके की भारी कमी से लोगों की जान पर गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। बावजूद इसके संगठन ने आगाह किया है कि भारत को वैक्सीन उत्पादन के लिए ‘अनिवार्य लाइसेंस’ जारी करने के प्रावधान का कोई एकतरफा इस्तेमाल से बचना चाहिए।

फिक्की ने कहा है कि ‘तत्काल जरूरत है कि ठीक-ठाक वैश्विक कंपनियों से संपर्क कर उन्हें बड़े स्तर के उत्पादन में सक्षम और समर्थ भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तारण और स्वेच्छा से लाइसेंस देने को राजी किया जाए।’

उद्योगमंडल ने एक बयान में आगाह किया कि देश के ‘ बड़े और दीर्घकालिक हित में ऐसा कोई एकतरफा कदम नहीं उठाना चाहिए जो (कोविड19 की रोकथाम के उत्पादों और वैक्सी की आपूर्ति बढ़ाने) का बहुपक्षीय हल निकालने के भारत के प्रयासों की अनदेखी करता हो।’

संगठन ने चेंबर ने गुरुवार को कहा कि देश महामारी की रोकथाम और कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए सस्ते टीके एवं दवाइयों की तेजी से उपलब्धता सुनिश्चित करने की कड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।

फिक्की ने एक बयान में कहा, "इस समय कोविड-19 टीके की मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़ा असंतुलन है। टीके की भारी कमी से डॉक्टरों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं एवं दूसरे आवश्यक कर्मियों सहित हमारे लोगों की जान पर गंभीर खतरा पैदा हो रहा है तथा संकट और गहरा हो गया है।"

बयान में कहा गया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए टीके की उपलब्धता को युद्ध स्तर पर बढ़ाना जरूरी है।

संगठन ने यह भी कहा कि लाइसेंस की अनिवार्य प्रक्रिया के प्रावधान का सावधानी से और पूरे विवेक के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऐसा न होने पर अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में भारी निवेश करने वाली नवोन्मेषी कंपनियां हतोत्साहित होंगी और यह मौजूदा स्थिति के लिए प्रतिकूल साबित होगा।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मुताबिक सदस्य देश किसी कंपनी को पेटेंट किए गए किसी उत्पाद के उत्पादन या पेटेंट मालिक की मंजूरी के बिना प्रोसेस करने या पेटेंट से संरक्षित नवाचार का इस्तेमाल करने की योजना बनाने की खातिर मंजूरी देने के लिए अनिवार्य लाइसेंस जारी कर सकते हैं।

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