नयी दिल्ली, 23 नवंबर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पास अब भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी सफलता की कुंजी है।
मतगणना के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भाजपा नीत ‘महायुति’ गठबंधन ने राज्य की 288 विधानसभा सीट में से 230 से अधिक सीट जीत सकती है, जबकि विपक्षी कांग्रेस- उद्धठ ठाकरे नीत शिवसेना और शरद पवार नीत राकांपा (एसपी) गठबंधन को सिर्फ 50 सीट मिलती दिख रही हैं।
महाराष्ट्र में चुनावों से पहले, आरएसएस ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के पक्ष में जनमत तैयार करने के लिए एक व्यापक संपर्क अभियान शुरू किया था।
इस बाबत भाजपा के वैचारिक मार्गदर्शन ने अपने सभी सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय किया था।
सूत्रों के अनुसार, योजना के तहत स्वयंसेवकों की छोटी टोलियां गठित की गईं, जो राज्य के हर कोने में लोगों तक पहुंचीं।
इनमें से प्रत्येक टोली ने पांच से दस लोगों के छोटे समूह के साथ बैठकें कीं और अपने-अपने मोहल्लों में स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से परिवारों से संपर्क कर उन्हें संदेश भी पहुंचाया।
एक सूत्र ने कहा, “उन्होंने अपना काम किया।”
सूत्र ने बताया कि इन टोलियों ने भाजपा का स्पष्ट समर्थन किए बिना राष्ट्रीय हित, हिंदुत्व, सुशासन, विकास, लोक कल्याण और समाज से संबंधित विभिन्न स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करके जनमत तैयार किया।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल में कहा था कि उन्होंने लोकसभा चुनावों में राज्य में भाजपा की सीट कम होने के बाद विधानसभा चुनावों में “अराजकतावादियों और वोट जिहादियों” से लड़ने के लिए संघ से मदद मांगी थी।
महाराष्ट्र में बुधवार को मतदान समाप्त होने के कुछ घंटों बाद उन्होंने नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत महायुति की “ऐतिहासिक जीत” के लिए महाराष्ट्र के लोगों को बधाई दी और कहा कि सरकार राज्य समग्र प्रगति और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “इसके अतिरिक्त, मैं उन स्वैच्छिक संगठनों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने चुनावों के दौरान मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया।”
माना जाता है कि हरियाणा में अपने सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय में आरएसएस द्वारा आयोजित “ड्राइंग रूम बैठकें” अक्टूबर में उत्तरी राज्य के विधानसभा चुनावों में भाजपा की चुनावी सफलता के पीछे प्रमुख कारकों में से एक थीं।
सूत्रों के अनुसार, संघ कार्यकर्ताओं की टोलियों ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में 1.25 लाख से अधिक छोटी-छोटी बैठकें की थीं।
सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा ने 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में 48 सीट जीतकर अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और राज्य में जीत की ‘हैट्रिक’ बनाते हुए सत्ता बरकरार रखी तथा चुनावों में कांग्रेस की वापसी के प्रयासों को विफल कर दिया।
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इस वर्ष लोकसभा चुनावों में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे आरएसएस कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी एक प्रमुख कारण था।
माना जाता है कि संसदीय चुनावों के दौरान भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की वह टिप्पणी विभिन्न राज्यों में संघ कार्यकर्ताओं के मनोबल को कम करने वाले कारणों में शामिल है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी को शुरुआत में आरएसएस के समर्थन की जरूरत थी, लेकिन समय के साथ पार्टी अपने आप चलने में सक्षम हो गई है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)