मुंबई, 10 अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमित अवधि के लिये 10 प्रतिशत ‘वृद्धिशील’ नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) से बैंकों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकालने में मदद मिलेगी।
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद दास ने संवाददाताओं से कहा कि मौजूदा परिस्थिति में यह बेहतर कदम है। बैंकों के पास पर्याप्त नकदी है और वे कर्ज गतिविधियों को जारी रख सकते हैं।
द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में उन्होंने कहा कि इस साल 19 मई से 2,000 रुपये के नोट बैंकों में वापस आने से नकदी बढ़ी है। इसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या इसमें एचडीएफसी बैंक के साथ एचडीएफसी लि. के विलय का प्रभाव भी शामिल होगा, दास ने कहा कि यह कदम सभी अनुसूचित बैंकों पर लागू है।
दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में हाल में हुई वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम पूर्व के अनुभव को देखें, तो सब्जियों के दाम में कुछ महीनों में सुधार का रुख देखने को मिल सकता है। इसके अलावा मानसून की अच्छी प्रगति से खरीफ फसलों की स्थिति बेहतर है।’’
दास ने कहा कि हालांकि अगर ये चीजें लंबे समय तक बनी रहती हैं तो आरबीआई कदम उठाएगा। इसके लिये केवल दर में बढ़ोतरी की जरूरत नहीं है बल्कि वृद्धिशील सीआरआर की तरह के और कदम हो सकते हैं।
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