चीन और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर हनन हो रहा- अमेरिका
Antony BlinkenRem

न्यूयॉर्क/इस्लामाबाद, 9 जनवरी : अमेरिका ने चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान पर 'धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर हनन में शामिल' होने का आरोप लगाते हुए तीनों को 'विशेष चिंता वाले देश' के रूप में नामित किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने कहा कि 1998 में कांग्रेस (अमेरिकी संसद) द्वारा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पारित करने और उसे लागू करने के बाद से धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता को आगे बढ़ाना अमेरिकी विदेश नीति का प्रमुख उद्देश्य रहा है. ब्लिंकन ने अमेरिकी विदेश नीति की इसी 'स्थायी प्रतिबद्धता' के तहत पिछले सप्ताह कहा था कि उन्होंने म्यांमा, चीन, क्यूबा, उत्तर कोरिया, इरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को 'धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष रूप से गंभीर हनन में शामिल होने या सहन करने के लिए विशेष चिंता वाले देश' के रूप में नामित किया.

इस्लामाबाद में, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के कार्यालय ने सोमवार को इसे 'विशेष चिंता का देश' घोषित करने के अमेरिका के कदम को 'पक्षपातपूर्ण आकलन' करार देते हुए इसे खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के कार्यालय के एक बयान के अनुसार, पाकिस्तान एक बहुलवादी देश है, जिसमें अंतर-धार्मिक सद्भाव की समृद्ध परंपरा है और इसने अपने संविधान के अनुरूप धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए व्यापक उपाय किए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा पाकिस्तान को 'विशेष चिंता का देश' घोषित किए जाने को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं. हम इस बात से बहुत निराश हैं कि यह रुख जमीनी हकीकत से अलग, पक्षपातपूर्ण और मनमाने मूल्यांकन पर आधारित है. ’’ यह भी पढ़ें : खराब स्वास्थ्य की अफवाहों के बाद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा ने कहा- ‘मैं बिल्कुल ठीक हूं’

इसके अलावा ब्लिंकन ने अल्जीरिया, अजरबैजान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस और वियतनाम को धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या सहन करने के लिए विशेष निगरानी सूची वाले देशों के रूप में नामित किया है. उन्होंने अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथिस, आईएसआईएस-साहेल, आईएसआईएस-पश्चिम अफ्रीका, अल-कायदा से संबद्ध जमात नस्र अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन और तालिबान जैसे संगठनों को 'विशेष चिंता वाले संगठनों' के रूप में नामित किया है.