देश की खबरें | राष्ट्रपति शासन के राउत के आरोप में संविधान की समझ नहीं झलकती : निर्वाचन आयोग के सूत्र

मुंबई, 21 अक्टूबर निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत के इन आरोपों को सोमवार को "बेबुनियाद और संवैधानिक व्यवस्था की समझ से रहित" करार दिया कि आयोग का महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन के वास्ते केवल 48 घंटे का समय निर्धारित किया जाना यह सुनिश्चित करने के लिए "भाजपा की एक चाल" है कि एमवीए सरकार गठन का दावा न पेश कर सके।

महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को एक चरण में मतदान होगा, जबकि वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-172(1) के साथ पठित लोक प्रतिनिधित्व की अधिनियम 1951 धारा-15 के अनुसार, निर्वाचन आयोग की भूमिका विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के छह महीने के भीतर चुनाव कराना और नवनिर्वाचित विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंपना है।

सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में आयोग इस प्रक्रिया को 23 नवंबर को मतगणना समाप्त होने के तुरंत बाद शुरू करेगा और 26 नवंबर से पहले खत्म कर लेगा।

उन्होंने कहा कि नवनिर्वाचित विधायकों की सूची सौंपे जाने के बाद राज्यपाल अनुच्छेद-164 के अनुसार अपने अनिवार्य संवैधानिक कर्तव्यों के तहत सरकार गठन के वास्ते आमंत्रित कर सकते हैं, जिसके लिए विधानसभा की समाप्ति की अवधि (26 नवंबर) की बाध्यता नहीं है।

सूत्रों ने रेखांकित किया कि 26 नवंबर, 2024 की तिथि की प्रासंगिकता सिर्फ निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने तक सीमित है।

राउत ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया था, "अमित शाह के साथ-साथ भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएगी। ऐसा लगता है कि यह महा विकास आघाडी (एमवीए) के लिए सरकार गठन के बारे में चर्चा करने और निर्णय लेने का समय सीमित करने की रणनीति प्रतीत होता है। अगर एमवीए के घटक दल दावा पेश करने में नाकाम रहते हैं, तो राज्यपाल छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे।"

उन्होंने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एमवीए को सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए यह कदम उठा रही है।

राउत ने कहा था, ‘‘इसके अलावा, निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम इस तरह से तय किया है कि यह एमवीए के लिए सरकार बनाने के अवसर को प्रभावी रूप से सीमित कर देता है।’’

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