देश की खबरें | जामा मस्जिद पर रमज़ान की रौनक: इफ़्तार के लिए दूर-दराज़ के इलाकों से पहुंच रहे रोज़ेदार

नयी दिल्ली, 22 मार्च राष्ट्रीय राजधानी स्थित जामा मस्जिद पर इन दिनों रमज़ान की रौनक है और न केवल दिल्लीवाले बल्कि दूर दराज के इलाकों से सैंकड़ों लोग रोजाना शाम को यहां इफ़्तार के लिए पहुंच रहे हैं

उत्तर प्रदेश में कैराना के रहने वाले मोहम्मद सद्दाम की हाल में शादी हुई है और वह अपनी पत्नी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए अपने घर से करीब 110 किलोमीटर दूर दिल्ली की जामा मस्जिद में उन्हें इफ़्तार (व्रत खोलना) कराने के लिए लाए हैं।

सद्दाम का कहना था कि उन्होंने ऐतिहासिक जामा मस्जिद में पत्नी के साथ इफ़्तार करने की बात घर में किसी को नहीं बताई है। यहां इफ़्तार करने की ख्वाहिश के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मस्जिद में रोज़ेदारों की काफी रौनक रहती है और लोग मिल बांटकर इफ़्तार करते हैं।

17वीं सदी की इस मुगलकालीन मस्जिद की क्षमता करीब पच्चीस हजार की है और इफ़्तार के वक्त यहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती। इफ़्तार के लिए लोग शाम पांच बजे से ही मस्जिद पहुंचने लगते हैं ताकि जगह मिलने में दिक्कत न हो। दिल्ली के सीमापुरी, नांगलोई, ओखला,तुगलकाबाद, महरौली यहां तक की नोएडा और गाजियाबाद तक से लोग जामा मस्जिद इफ़्तार करने पहुंचते हैं।

उत्तर प्रदेश के संभल के रहने वाले और यहां नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे मोहम्मद अलतमश पहली बार इफ़्तार करने के लिए जामा मस्जिद आए हैं। यहां इफ़्तार करने की उनकी दिली तमन्ना थी। वह अपने चार दोस्तों के साथ इफ़्तारी का सामान भी लाए जिनमें खजूर, फल और कुछ पकौड़े शामिल थे।

अलतमश के लिए ये एक बेहद खूबसूरत अनुभव रहा, क्योंकि मस्जिद पूरी तरह से भरी हुई थी और लोगों ने एक दूसरे के साथ मिल बांट कर रोज़ा खोला।

मस्जिद में ऐसे भी कई रोज़ेदार आते हैं जिनके पास खाने-पीने का सामान नहीं होता। उनके लिए मस्जिद में ऐसे दस्तरखान लगाए जाते हैं जहां वे रोज़ा इफ़्तार कर सकें।

ऐसे लोगों को इफ़्तार कराने में जुटे सलाहुद्दीन ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि उनके परिवार के लोग चार पीढ़ी से मस्जिद में रोज़ेदारों के लिए इफ़्तार की व्यवस्था करते आ रहे हैं।

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