देश की खबरें | राजस्थान उपचुनाव : भाजपा ने पांच सीट पर जीती दर्ज की, कांग्रेस और बीएपी के खाते में एक-एक सीट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान में सात विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को पांच सीट पर जीत हासिल की।
जयपुर, 23 नवंबर राजस्थान में सात विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को पांच सीट पर जीत हासिल की।
इसके साथ ही राज्य विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 119 हो गई।
वहीं कांग्रेस और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के खाते में एक-एक सीट आई। निर्वाचन आयोग ने 13 नवंबर को हुए मतदान के वोटों की गिनती के बाद शनिवार को परिणाम जारी किए।
नागौर से सांसद चुने जाने के बाद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) को खींवसर सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
खींवसर विधानसभा सीट पर बेनीवाल की पत्नी कनिका को उम्मीदवार के रूप में उतारा गया था, जिन्हें हाल का सामना करना पड़ा।
विधानसभा में अब आरएलपी का एक भी विधायक नहीं होगा।
राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में अब भाजपा के 119, कांग्रेस के 66, बीएपी के चार, बहुजन समाज पार्टी के दो, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) का एक विधायक होगा।
इसके अलावा सदन में आठ निर्दलीय विधायक भी हैं।
राज्य की जिन सात विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ उनमें से चार कांग्रेस के पास थीं जबकि भाजपा, आरएलपी और बीएपी के पास एक-एक सीट थी।
बीएपी ने अपनी चौरासी सीट बरकरार रखी जबकि आरएलपी ने अपनी खींवसर सीट गंवा दी। उपचुनाव के परिणामों से जहां भाजपा आलाकमान उत्साहित है वहीं कांग्रेस नेताओं ने कहा कि परिणामों की समीक्षा की जाएगी।
कांग्रेस के लिए एक मात्र राहत की बात दौसा सीट पर जीत रही। यहां मंत्री मीणा के भाई जगमोहन ने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और 2300 मतों से हार गए।
किरोड़ी मीणा ने अपने भाई की जीत सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वी राजस्थान में कई सीट पर भाजपा की हार के बाद मीणा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया और वह कैबिनेट की बैठकों में जाने से भी बचते रहे।
पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में उनके भाई को टिकट दिया। इसे मीणा को शांत करने के प्रयास के रूप में देखा गया हालांकि हार को मीणा के लिए बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।
भाजपा ने झुंझुनू (राजेंद्र भांबू), देवली-उनियारा (राजेंद्र गुर्जर), खींवसर (रेवंतराम डांगा), सलूंबर (शांता अमृत लाल मीणा) और रामगढ़ (सुखवंत सिंह) सीट जीती है। सलूंबर सीट भाजपा विधायक अमृतलाल के निधन से खाली हुई थी।
पार्टी ने उनकी पत्नी को टिकट दिया जो 1285 मतों के मामूली अंतर से चुनाव जीत गईं।
कांग्रेस ने रामगढ़ से अपने विधायक जुबैर खान के निधन से खाली हुई सीट पर उनके बेटे आर्यन जुबैर को मैदान में उतारा हालांकि, वह भाजपा उम्मीदवार से 13636 वोट से हार गए।
टोंक जिले की देवली-उनियारा सीट पर भाजपा के राजेंद्र गुर्जर ने 41,121 मतों से जीत दर्ज की।
उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा रहे।
नरेश ने 13 नवंबर को मतदान के दिन एक अधिकारी को थप्पड़ मार दिया था।
समरावता गांव के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था और नरेश उनका समर्थन कर रहे थे।
एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद मीणा और उनके समर्थकों ने मतदान केंद्र के बाहर धरना दिया और मतदान खत्म होने के बाद जब पुलिस ने उन्हें हटाया तो गांव में हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई वाहन जला दिए गए और कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए।
कांग्रेस के हरीश मीणा टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद चुने जाने से पहले देवली-उनियारा से विधायक थे।
हनुमान बेनीवाल के गढ़ माने जाने वाले खींवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार रेवंत राम डांगा ने 13901 मतों के अंतर से जीत दर्ज की।
बीएपी के उम्मीदवार अनिल कुमार कटारा ने डूंगरपुर जिले की आदिवासी बहुल चौरासी सीट पर जीत हासिल की है।
यह सीट इस साल बीएपी के राजकुमार रोत के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई थी।
इसी तरह झुंझुनू में भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र भांबू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार अमित ओला को 42,848 वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की।
अमित झुंझुनू के सांसद और पूर्व मंत्री बृजेंद्र ओला के बेटे हैं। उनकी हार से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली ओला परिवार को झटका लगा है।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि ये नतीजे पार्टी के लिए जिम्मेदारी की तरह हैं और राज्य सरकार लोगों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए काम करती रहेगी।
उन्होंने पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से कहा, “मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की।”
मुख्यमंत्री शर्मा ने भी नवनिर्वाचित विधायकों को बधाई दी। दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने भले ही अपनी कई सीट पर जीत दर्ज की हो लेकिन दौसा में मंत्री (किरोड़ी मीणा) के भाई की हार सरकार की हार है।
डोटासरा ने कहा, “उपचुनावों में आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी को बढ़त मिलती है। हम नतीजों और हार के कारणों का विश्लेषण करेंगे।”
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