देश की खबरें | रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाला : सीबीआई ने लालू के खिलाफ नया मामला दर्ज किया

नयी दिल्ली, 20 मई सीबीआई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 2004-09 में रेलवे में ‘ग्रुप डी’ की नौकरियों के बदले पटना में एक लाख वर्ग फुट जमीन कथित तौर पर लेने के आरोप में एक नई प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

यह मामला तब का है जब संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (संप्रग) सरकार के दौरान लालू रेल मंत्री थे।

सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 18 मई को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एजेंसी ने प्रसाद, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपियों के दिल्ली, पटना और गोपालगंज परिसरों में 16 स्थानों पर तलाशी अभियान शुरू किया।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटियों मीसा भारती व हेमा यादव के अलावा मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर, हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी पाने वाले 12 लोगों को नामजद किया है।

केंद्रीय एजेंसी ने रेलवे में जमीन के बदले नौकरी मामले में 23 सितंबर 2021 को प्रारंभिक जांच दर्ज की थी।

रेलवे अधिकारियों द्वारा, “अनुचित जल्दबाजी” में आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर उम्मीदवारों को ‘ग्रुप डी’ पदों पर वैकल्पिक तौर पर नियुक्त किया गया था और बाद में “इसके बदले में व्यक्तियों या उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अपनी भूमि हस्तांतरित करने पर” उन्हें नियमित कर दिया गया।

जमीन का यह हस्तांतरण राबड़ी देवी के नाम पर तीन विक्रय विलेख, मीसा भारती के नाम पर एक विक्रय विलेख और हेमा यादव के नाम पर दो उपहार विलेख के जरिये किया गया।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि एक बिक्री विलेख एक कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर निष्पादित किया गया था, जिसमें राबड़ी देवी 2014 में बहुसंख्यक शेयरधारक बन गईं और वर्तमान में कंपनी के निदेशकों में से एक हैं।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि लालू प्रसाद के परिवार ने कथित तौर पर उनके द्वारा ली गई जमीनों के बदले 3.75 से 13 लाख रुपये की रकम अदा की जबकि सर्कल दर के मुताबिक उनकी कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपये थी।

हेमा यादव के उपहार विलेख के मामले में, बृज नंदन राय नाम के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर 2008 में 4.21 लाख रुपये में हृदयानंद चौधरी नामक एक व्यक्ति को पटना में 3,375 वर्ग फुट जमीन हस्तांतरित की। चौधरी को बाद में हाजीपुर में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने बाद में 2014 में हेमा यादव को जमीन स्थानांतरित कर दी।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, “उक्त जमीन की कीमत, जिस समय यह तोहफे के तौर पर दी गई, सर्कल दर के मुताबिक 62.10 लाख रुपये थी।”

सीबीआई की अब तक की जांच के मुताबिक, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने विक्रेताओं को नकद भुगतान करके पटना में स्थित करीब 1.05 लाख वर्गफुट जमीन हासिल की।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया, “वर्तमान सर्कल दर के अनुसार उपहार विलेख के माध्यम से अर्जित भूमि सहित उपरोक्त सात भूखंडों का वर्तमान मूल्य लगभग 4.39 करोड़ रुपये है... पूछताछ में पता चला है कि जमीन का वह टुकड़ा जो सीधे लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों द्वारा खरीदा गया था, वह विक्रेताओं से तत्कालीन सर्कल दरों की तुलना में कम दर पर खरीदा गया था।”

इसमें कहा गया है कि मंडल रेलवे में इस उद्देश्य के लिए जारी किए गए किसी विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस के बिना रेलवे में व्यक्तियों की नियुक्ति की गई थी।

प्राथमिकी के अनुसार, “जांच से पता चला कि उम्मीदवारों के कुछ आवेदनों को संसाधित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई गई थी और आश्चर्यजनक रूप से संबंधित आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीन दिनों के भीतर, वैकल्पिक तौर पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई थी।”

यह नया मामला तब दर्ज किया गया है जब हफ्तों पहले यादव को चारा घोटाला मामले में जमानत पर रिहा किया गया था। इस मामले में रांची में विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था।

राष्ट्रीय जनता दल ने सीबीआई पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘‘तोता है, तोतों का क्या।’’

राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने सीबीआई की कार्रवाई के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “वे (भाजपा) किसी को निशाना बनाकर अन्य लोगों को डराने की कोशिश करते हैं। कोई नहीं डरेगा। न हम, न वो और न ही बिहार के लोग।”

उन्होंने यह नहीं बताया कि अन्य से उनका क्या आशय है?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद के तेजस्वी यादव के बीच हालिया बैठकों ने बिहार में राजनीतिक ताकतों के पुनर्गठन के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं। कुमार के जनता दल (यू) और उसकी सहयोगी भाजपा के बीच संबंध भी बहुत सहज नहीं दिख रहे।

झा ने कहा कि वह सीबीआई की कार्रवाई से हैरान नहीं हैं, लेकिन यह देखकर दुखी हैं कि भाजपा भारतीय लोकतंत्र को कहां ले जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र पर हमला है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई के मामले में कोई दम नहीं है और उसे सामने लाया गया क्योंकि तेजस्वी यादव बेरोजगारी और जाति जनगणना जैसे वास्तविक मुद्दों पर जनता को एकजुट करने के लिए काम कर रहे हैं।

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