पश्चिमी देशों में लॉकडाउन खुलने के बाद साइकिल की सवारी को दिया जा रहा प्रोत्साहन

उनका कहना है कि अस्थायी तौर पर ही सही लेकिन यह किया जाना चाहिए।

जर्मनी से लेकर पेरु तक के सामाजिक कार्यकर्ता सड़कों पर अतिरिक्त साइकिल लेन बनाने या पहले से मौजूद लेन को चौड़ा करने की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि अस्थायी तौर पर ही सही लेकिन यह किया जाना चाहिए।

यूरोपीय साइकिल संघ के सह अध्यक्ष मॉर्टन काबेल के अनुसार यदि शहरों को सुचारु रूप से चलाना है तो हमें साइकिल के लिए अधिक उपयुक्त वातावरण बनाना होगा।

उन्होंने कहा, “बहुत से लोग सार्वजनिक परिवहन में चलने से डरेंगे लेकिन कभी तो हमें काम पर जाना ही होगा। बहुत कम शहर ऐसे हैं जो सड़कों पर कारों की अधिक मात्रा बर्दाश्त कर पाएंगे।”

सड़कों पर साइकिल के लिए अलग लेन के अलावा काबेल की मांग है कि इलेक्ट्रिक साइकिल के दाम पर छूट दी जानी चाहिए ताकि लंबी या ऊंचाई वाली यात्रा करने वालों को प्रोत्साहित किया जा सके।

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन ने इस मामले में उदाहरण प्रस्तुत किया है जहां रोजाना आवागमन करने वाले लोगों में से आधे साइकिल पर चलते हैं।

नीदरलैंड में भी साइकिल लेन का विस्तृत जाल बिछा हुआ है।

विश्व के तमाम देश अब साइकिल के महत्व को धीरे-धीरे समझ रहे हैं।

फ्रांस की सरकार ने साइकिल के प्रयोग की वकालत करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता पियरे सर्न से कहा है कि वे 11 मई को समाप्त होने वाले लॉकडाउन से पहले योजना बनाकर दें।

सर्न ने परिवहन मंत्रालय को अपने सुझाव सौंपे थे जिसमें सड़कों पर साइकिल के लिए अन्य वाहनों से अलग लेन बनाने के वास्ते पचास हजार यूरो प्रति किलोमीटर की अनुमानित लागत बताई गई थी।

बर्लिन में कुछ सड़कों पर पीली रेखा बनाकर कार और साइकिल के लिए अलग लेन बनाई गई है।

इस प्रकार के प्रयोग कम लागत वाले होते हैं जिनके परिणाम तुरंत दिखाई पड़ते हैं।

इसी प्रकार की पहल पेरु के लिमा शहर, स्पेन के बार्सिलोना और इटली के मिलान में भी की जा रही है।

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