देश की खबरें | आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं से जुड़ीं निजी संस्थाओं को आरटीआई अधिनियम के तहत होना चाहिए: सीआईसी

नयी दिल्ली, 17 जनवरी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने दिल्ली सरकार को निजी अस्पतालों के लाइसेंस का पूर्वव्यापी नवीनीकरण रोकने की सलाह देते हुए कहा है कि आवश्यक सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने वाले निजी संस्थानों को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के राज्य-आधारित संशोधन के तहत अधिनियम के दायरे में होना चाहिये।

सूचना आयुक्त विनोद कुमार तिवारी ने एक आरटीआई आवेदक के मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। आरोप है कि 2023 में आवेदक की पत्नी के इलाज के लिए एक निजी अस्पताल ने "अत्यधिक बिल" थमा दिया था।

आरटीआई आवेदक संजीव कुमार ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) से संपर्क कर 12-सूत्री आवेदन में आर्टेमिस अस्पताल को जारी किए गए लाइसेंस के विवरण समेत कई जानकारी मांगी गई थीं। आवेदक की पत्नी का इलाज आर्टेमिस अस्पताल में हुआ था।

अस्पताल से संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग का रुख किया।

तिवारी ने कहा, “... अपील में अपीलकर्ता का मुख्य तर्क जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) की ओर से सही व सटीक जानकारी न मिलना और आर्टेमिस अस्पताल में भर्ती होने के दौरान मनमाने तरीके से अनुचित मांगों/बिलों को बढ़ाना है। इसकी वजह यह है कि प्रतिवादी (डीजीएच) नियमित रूप से गुप्त तरीके अस्पताल के लाइसेंस का पूर्वव्यापी नवीनीकरण करता रहा है। ”

एक निजी अस्पताल होने के कारण आर्टेमिस आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है।

तिवारी ने कहा, “लोगों के लिए आवश्यक सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं को आरटीआई अधिनियम में राज्य-आधारित संशोधन लाकर “सार्वजनिक प्राधिकरण” की परि में शामिल किया जाना चाहिए।”

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