नयी दिल्ली, 14 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देशवासियों के समक्ष अपने 11 संकल्प पेश किए, जिनमें हाशिए पर मौजूद वर्गों के लिए मौजूदा आरक्षण को बरकरार रखना लेकिन धर्म आधारित आरक्षण का कड़ा विरोध करना शामिल है।
‘संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर लोकसभा में दो दिवसीय चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि संविधान सभा ने व्यापक चर्चा के बाद धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ फैसला किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए धर्म के आधार पर आरक्षण का वादा कर रही है।
प्रधानमंत्री के 110 मिनट के भाषण के अंत में, उनके द्वारा प्रस्तावित 11 संकल्पों में परिवारवाद की राजनीति खत्म करने, शासन में भाई-भतीजावाद के बजाय योग्यता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त न करने का संकल्प भी शामिल था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के भविष्य के लिए और संविधान की भावना से प्रेरित होकर वह ये संकल्प देशवासियों के समक्ष रख रहे हैं।’’
हालांकि, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने 11 संकल्पों को ‘‘खोखला और फर्जी वादा’’ करार दिया।
यादव ने कहा, ‘‘आज हमने 11 जुमलों के संकल्प सुने। किसानों की आय दोगुनी करना जुमला था, एक करोड़ रोजगार देना जुमला था, अग्निवीर योजना और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) भी एक जुमला है।’’
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये संकल्प नागरिकों और सरकार, दोनों को एक मजबूत और अधिक समावेशी राष्ट्र के निर्माण में मार्गदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयास और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता राष्ट्रीय प्रगति के लिए आवश्यक है।
उन्होंने पहले संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि चाहे नागरिक हो या सरकार , सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें और हर क्षेत्र एवं सभी समुदाय को विकास का लाभ मिले तथा सबका साथ-सबका विकास हो।
उन्होंने भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करने के संकल्प का जिक करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के कानून, देश के नियम... देश की परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व होना चाहिए। साथ ही, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो, देश की विरासत पर गर्व हो।’’
प्रधानमंत्री ने देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्त कराने के संकल्प का भी जिक्र किया।
उन्होंने अगले संकल्प के तहत संविधान के सम्मान का आह्वान किया और कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि संविधान की भावना के अनुरूप जिन्हें आरक्षण मिल रहा है उसे न छीना जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे।
प्रधानमंत्री ने महिला नीत विकास में भारत को दुनिया के लिए मिसाल बनाने का संकल्प भी लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास, हमारा मंत्र हो और एक भारत, श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो।’’
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