देश की खबरें | मणिपुर में राष्ट्रपति शासन समय की जरूरत : मिजोरम सांसद

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आइजोल, 25 नवंबर मिजोरम से एकमात्र राज्यसभा सदस्य के. वनलालवेना ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में जारी जातीय हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता दोहरायी है। यह जानकारी एक आधिकारिक बयान से मिली।

वनलालवेना ने कहा कि पिछले साल मई से अब तक जारी हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू करना ‘‘पहला और तत्काल उठाया जाने वाला कदम’’ है। इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान अब तक जा चुकी है।

मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सांसद वनलालवेना ने कहा कि केंद्र को मामले में सीधे हस्तक्षेप करने देने के लिए यह कदम समय की मांग है।

वनलालवेना ने रविवार को नयी दिल्ली में सर्वदलीय बैठक के दौरान कहा, ‘‘मिजोरम से सांसद होने के बावजूद, मैंने अक्सर मणिपुर का मुद्दा और वहां के जनजातीय लोगों की दुर्दशा को उठाया है, क्योंकि मिजो की विभिन्न जनजातियां ब्रिटिश औपनिवेशीकरण से पहले मणिपुर में बस गई थीं और उनमें से छह लाख से अधिक लोग अब भी पड़ोसी राज्य में रह रहे हैं।’’

वनलालवेना ने म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर से शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित बच्चों की देखभाल के लिए आइजोल में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष या यूनिसेफ का एक शाखा कार्यालय स्थापित करने की आवश्यकता को भी उल्लेखित किया।

इससे पहले, उन्होंने मेइती और कुकी-जो के लिए "अलग प्रशासनिक इकाइयों" के गठन के साथ-साथ मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की वकालत की थी।

राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा था कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के कारण पिछले साल मई से अब तक 258 लोगों की जान जा चुकी है।

कुकी-जो समुदाय मिजो के साथ जातीय संबंध साझा करता है।

इस बीच, मणिपुर के राज्यसभा सदस्य लीशेम्बा सनाजाओबा ने रविवार को वनलालवेना से पड़ोसी राज्य से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया था। सनाजाओबा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया था, ‘‘मेरे मित्र, सीमा पार नहीं करें... कृपया अपने राज्य के मुद्दों तक ही सीमित रहें...मणिपुर के मुद्दों में हस्तक्षेप करना बंद करें...एक अच्छे पड़ोसी बनें।’’

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