देश की खबरें | राष्ट्रपति मुर्मू संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी
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नयी दिल्ली, 25 नवंबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को संविधान सदन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी और इसके साथ ही भारत के संविधान को अंगीकार करने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत होगी।
इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हिस्सा लेंगे।
सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि नागरिकों को संवादात्मक गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए एक वेबसाइट- “कॉन्स्टिटूशन75 डॉट कॉम’ बनाई गई है।
केंद्रीय संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने यहां नेशनल मीडिया सेंटर में संवाददाताओं को बताया कि संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ देश भर के स्कूलों में भी करवाया जाएगा।
संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसंबर 1946 को दिल्ली में पुराने संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में हुई थी।
चावला ने बताया कि इस ऐतिहासिक अवसर को मनाने के लिए संसद के पुराने भवन के केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और इसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी विशेष अतिथि होंगे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी समारोह में भाग लेंगे।
इस अवसर पर सरकार एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेगी।
केंद्रीय संस्कृति सचिव के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू और दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी मीडियाकर्मियों से बातचीत की।
रीजीजू ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यक्रम को संबोधित नहीं करेंगे और उन्होंने कुछ विपक्षी दलों पर वास्तविक व्यवस्था की जानकारी के बिना प्रतिक्रिया देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
रीजीजू ने कहा, “दूसरी बात, हमने मंच पर लोकसभा और राज्यसभा के विपक्ष के नेताओं के बैठने की व्यवस्था की है। बिना कुछ जाने, एक बहुत ही गंभीर अवसर पर इस तरह की प्रतिक्रिया निंदनीय है।”
उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनसे दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं को संविधान दिवस समारोह को संबोधित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया।
संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया गया था, लेकि यह 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बना।
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