रायपुर, 31 अगस्त: विद्यार्थियों की आत्महत्या के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पढ़ाई के दबाव और नकारात्मक सोच से उबरने के लिए छात्रों की मदद करने का आह्वान किया . छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय प्रवास पर आज यहां पहुंचीं राष्ट्रपति मुर्मू ने राजधानी रायपुर में विधानसभा मार्ग में स्थित ब्रम्हकुमारी संस्थान के शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर में ‘सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष’ कार्यक्रम की शुरुआत की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अगर हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ आध्यात्म को भी जोड़ लें तो जीवन अधिक आसान हो जाएगा.
उन्होंने राजस्थान में ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ (एनईईटी) के दो छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि देश ने चंद्रमा पर अपना झंडा फहराया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में उपलब्धि हासिल की है, लेकिन ऐसे मामलों (छात्रों की आत्महत्या) को देखकर उन्हें दुख होता है. उन्होंने कहा ‘‘बहुत दुख होता है जब कुछ बच्चों ने कुछ कारणों से नकारात्मक भाव उत्पन्न होने के चलते खुद को इस धरती से विदा करने का निश्चय ले लिया। इस बात के अनेक उदाहरण है कि क्षणिक असफलता से भविष्य की सफलता निहित होती है.
’’
मुर्मू ने समाज के सभी वर्गों से अनुरोध किया कि वे पढ़ाई के दबाव, नकारात्मक सोच से उबरने में तथा आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में छात्रों की मदद करें. उन्होंने समाज को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने को लेकर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ‘सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष’ जैसे कार्यक्रम छात्रों को नकारात्मक सोच से उबारने में मददगार हो सकते हैं. मुर्मू ने कहा कि अगर हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ आध्यात्म को भी जोड़ लें तो जीवन अधिक आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा ‘‘यदि आप रामराज्य का सपना देख रहे हैं तब आपको पहले खुद राम और सीता बनना होगा तथा देश को विश्वगुरू बनाने के लिए उसी दिशा में कदम रखना होगा.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)