नयी दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली संकट (Power Crisis) के मद्देनजर कोयला माल ढुलाई बढ़ाने के लिए रेलवे (Railway) ने अब तक 42 यात्री रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया है. इसके चलते छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), ओड़िशा (Odisha), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और झारखंड (Jharkhand) जैसे कोयला उत्पादक राज्यों से आने-जाने वाले लोगों को असुविधा हो रही है.
कोयला उत्पादक क्षेत्रों वाले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) डिवीजन ने 34 यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है. Power Crisis: दिल्ली में गहराया बिजली संकट, राजधानी में एक दिन का कोयला शेष, मेट्रो और अस्पतालों पर पड़ सकता है असर
दूसरी ओर उत्तर रेलवे (एनआर) ने आठ रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया है, जो उत्तर भारत में कई बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति करता है. केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की दैनिक कोयला भंडार रिपोर्ट में कहा गया है कि 165 ताप बिजली स्टेशनों में से 56 में 10 फीसदी या उससे कम कोयला बचा है. कम से कम 26 के पास पांच फीसदी से कम स्टॉक बचा है. भारत की 70 प्रतिशत बिजली की मांग कोयले से पूरी होती है.
आधिकारिक सूचना के मुताबिक एसईसीआर के तहत आने वाली यात्री सेवा बिलासपुर-भोपाल ट्रेन को 28 मार्च को निलंबित कर दिया गया था. अब तीन मई तक इसी स्थिति में रहेगी. महाराष्ट्र के गोंदिया और ओडिशा के झारसुगुडा के बीच मेमू ट्रेन 24 अप्रैल से 23 मई तक रद्द कर दी गई है. इसी तरह छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़-रायपुर मेमू को 11 अप्रैल से 24 मई तक रद्द कर दिया गया है.
दक्षिण मध्य रेलवे ने जहां 22 मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों और 12 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, वहीं उत्तर रेलवे ने चार मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों और इतनी ही पैसेंजर सेवाओं को रद्द कर दिया है. आंकड़ों के मुताबिक इन रेलगाड़ियों के रद्द होने के बाद रेलवे ने कोयले की औसत दैनिक लदान 400 से अधिक कर दी है, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है.
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