नयी दिल्ली, 4 नवंबर : दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की अपेक्षाकृत बेहतर गति के कारण रातभर में प्रदूषण के स्तर में मामूली गिरावट आयी, लेकिन पीएम2.5 की सांद्रता अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित स्वस्थ सीमा से करीब 80 गुना अधिक है. पीएम2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. शहर में शनिवार को लगातार पांचवें दिन धुंध की एक घनी हानिकारक परत छायी हुई है. चिकित्सकों ने चिंता व्यक्त की है कि वायु प्रदूषण से बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन और आंख संबंधी दिक्कतें बढ़ रही है. दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कई स्थानों पर पीएम2.5 की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित स्वस्थ सीमा (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से 80 से 100 गुना अधिक है.
दिल्ली-एनसीआर में पारा गिरने, हवा के मंद पड़ने और पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के कारण पिछले सप्ताह से वायु गुणवत्ता में गिरावट आनी शुरू हुई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 27 अक्टूबर और तीन नवंबर के बीच 200 अंक से अधिक बढ़ा है जिससे शुक्रवार को यह ‘‘अति गंभीर’’ (450 से अधिक) श्रेणी में पहुंच गया. बहरहाल, शुक्रवार को शाम चार बजे एक्यूआई 468 से कम होकर शनिवार सुबह छह बजे तक 413 दर्ज किया गया. शुक्रवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई (468) 12 नवंबर 2021 को दर्ज किए गए 471 एक्यूआई के बाद से सबसे अधिक दर्ज किया गया. दिल्ली दुनिया में सबसे खराब गुणवत्ता वाली राष्ट्रीय राजधानियों में शामिल रही. यह भी पढ़ें : Delhi Pollution: आज सुबह फिर धुंध की गहरी चादर में लिपटी राजधानी, AQI 504 पर; Video में देखें कितने गंभीर हैं हालात
‘यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो’ के ‘एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ की एक रिपोर्ट में अगस्त में कहा गया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र करीब 12 साल तक कम हो रही है. प्रदूषण के अति गंभीर श्रेणी में पहुंचने के कारण अनेक लोग सुबह की सैर और खेल समेत खुले में की जाने वाली अपनी गतिविधियों को टालने के लिए मजबूर हुए हैं. माता-पिता काफी चिंतित हैं क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं और अधिक प्रदूषक तत्व ग्रहण करते हैं. दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, पराली जलाने, पटाखे जलाने और अन्य स्थानीय प्रदूषक स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है.