कानपुर, एक दिसंबर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि संसद जनकल्याण के लिए है और सदन के कामकाज के हर क्षण का उपयोग जनकल्याण के लिए किया जाना चाहिए।
धनखड़ यहां सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के स्वर्ण जयंती स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति धनखड़ की यह टिप्पणी पिछले सप्ताह अदाणी समूह से जुड़े विवाद और संभल व मणिपुर में हिंसा जैसे विभिन्न मुद्दों पर संसद के दोनों सदनों में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद आई है।
धनखड़ ने यहां कहा, “हम भारतीय संविधान को अपनाने की सदी की चौथी तिमाही में प्रवेश कर चुके हैं। इसलिए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि लोकतंत्र के मंदिर में हर क्षण का उपयोग बड़े पैमाने पर लोगों के कल्याण के लिए किया जाए।”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “संसद जनकल्याण के लिए है और इसे अपवित्र नहीं किया जाना चाहिए। मुझे यकीन है कि संबंधित पक्षों, खासकर निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा सभी कदम उठाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अपने आचरण को अनुशासन और शिष्टाचार के साथ निभाएं।”
उन्होंने समारोह में मौजूद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की ओर इशारा करते हुए कहा, “हर बार जब मैं राज्यपाल (पटेल) से बात करता हूं, तो एक बात जो आम तौर पर सुनने को मिलती है वह यह कि क्या हम वास्तव में शिक्षा के अधिकार के सार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं? यह उन लोगों के लिए है, जिनके पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच नहीं है और इसलिए एक प्रावधान आया कि हमें समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए विशेष वर्गीकरण करना चाहिए।”
धनखड़ ने ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिभाओं को पोषित करने का आह्वान किया और विशेष रूप से उन लोगों को, जिनके पास सस्ती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच नहीं है।
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश एक शैक्षिक केंद्र के रूप में उभर रहा है, ऐसा परिदृश्य जो पहले कभी नहीं था।
उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण हो रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं कॉरपोरेट्स (व्यवसायियों), व्यापारिक घरानों से अपील करता हूं और उन्हें इसे (शिक्षा) एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनाये। उन्हें अच्छे स्कूल खोलने चाहिए, जिसका उद्देश्य सभी को, खासकर कमजोर वर्गों को सस्ती गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराना है।”
धनखड़ ने कहा, “सरकार ने बड़ी पहल की है और मेरा मानना है कि अगर समाज में कोई बड़ा बदलाव लाना है या इसकी बुराइयों से छुटकारा पाना है तो समानता लाने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी तंत्र है।”
धनखड़ ने छात्र-छात्राओं से आह्वान किया, “आप लोगों (छात्र-छात्राओं) को आज संकल्प लेना चाहिए कि हम समाज में हमारी उम्र के हिसाब से ऐसा व्यवहार करें, जो भारतीय संस्कृति की झलक दिखाता हो। ज्ञान की जिज्ञासा आपको होनी चाहिए, माता-पिता के प्रति आदर का भाव, शिक्षक के प्रति आदर, निर्देश के प्रति लग्न होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कवर, मोबाइल हमारा समय बर्बाद कर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा न सिर्फ खेल के मैदानों से बल्कि वास्तविक प्रयोगशालाओं से भी दूर होते जा रहे हैं और वे बस इस (मोबाइल)प्लास्टिक में अत्यधिक व्यस्त रहते हैं।
उन्होंने कहा, “आप (विद्यार्थी) इससे छुटकारा पाएं। यह समय आपके जीवन में दोबारा कभी वापस नहीं आएगा। ये वक्त किसी और की जिंदगी में दोबारा लौटकर नहीं आएगा। यह समाज चाहे कितनी भी प्रगति कर ले, हम खोया हुआ समय नहीं बना सकते और इसलिए कृपया इसका अधिकतम लाभ उठायें।”
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